अक्षय तृतीया के दूसरे दिन काशी की गलियों में निकली मां मणिकर्णिका की पालकी, मां की एक झलक पाने को व्याकुल हुए श्रद्धालु

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वाराणसी। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट पर परंपरागत रूप से आयोजित मणिकर्णिका माता के वार्षिक श्रृंगार और दान-स्नान में अद्भुत आस्था नजर आई। मां के एक दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ मणिकर्णिका घाट पर उमड़ पड़ी।

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प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जैसी ही मां की पालकी यात्रा काशी की गलियों में निकली, उनकी एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु व्याकुल हो उठे। मां मणिकर्णिका का अलौकिक श्रृंगार किया गया और आकर्षक झांकी सजाई गई, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु उमड़ पड़े।

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समारोह की शुरुआत मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना से हुई। मां को 56 भोग का भव्य प्रसाद अर्पित किया गया और भक्तों ने विधिपूर्वक दर्शन-पूजन कर अक्षय तृतीया के पुण्य लाभ का संकल्प लिया। मान्यता है कि इस दिन मणिकर्णिका कुंड में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और शरीर के रोग भी समाप्त हो जाते हैं। इसी परंपरा के निर्वाह में श्रद्धालु श्रद्धा के साथ कुंड में डुबकी लगाने पहुंचे।

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मणिकर्णिका कुंड के प्रधान पुजारी जयेंद्र नाथ दुबे ने पूरे विधि-विधान से पूजन संपन्न कराया। उन्होंने सर्वप्रथम स्वयं स्नान कर पूजा की शुरुआत की और फिर श्रद्धालुओं को स्नान का आदेश दिया। इसके बाद उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर मणिकर्णिका कुंड में स्नान किया और स्वयं को पुण्य का भागी बनाया।

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पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए गए थे। मंदिर समिति द्वारा साफ-सफाई, जल व्यवस्था और प्रसाद वितरण की सुचारू व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम में स्थानीय भक्तों के अलावा दूरदराज से आए साधु-संतों और भक्तजनों की भागीदारी ने आयोजन को और भी गरिमामय बना दिया।

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