शारदीय नवरात्रि पर काशी विश्वनाथ धाम में धुनुचि नृत्य का भव्य आयोजन, देवी कूष्मांडा को अर्पित हुए सोलह श्रृंगार
वाराणसी। शारदीय नवरात्रि की चतुर्थ तिथि पर सनातन नवाचारों के अंतर्गत काशी विश्वनाथ धाम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। प्रातःकाल देवी विशालाक्षी और नवरात्रि की अधिष्ठात्री देवी कूष्मांडा को भगवान विश्वेश्वर के समक्ष सोलह श्रृंगार और वस्त्र भेंट किए गए। इसके बाद सायंकाल काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर बंगाल की प्राचीन परंपरा, धुनुचि नृत्य का भव्य प्रदर्शन किया गया।
धुनुचि नृत्य शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है, कलाकारों अंकिता भट्टाचार्य, राशि शर्मा, सुमन कुमारी, प्रिया कश्यप, रिया नंदी सहित अन्य कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। धुनुचि मिट्टी का पात्र होता है, जिसमें जलता हुआ कोयला, सूखी नारियल जटा और कपूर जैसी सामग्री रखी जाती है, और उसके साथ विशेष नृत्य किया जाता है। यह नृत्य देवी दुर्गा की शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर वध से पूर्व अपनी शक्तियों को इसी नृत्य से सुदृढ़ किया था।
इस विशेष आयोजन का उद्घाटन काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, न्यास सदस्य ब्रज भूषण ओझा, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, और हिसार यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राधेश्याम शर्मा द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
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