नवरात्रि के आठवें दिन भगवती महागौरी का दर्शन, काशी में स्थित है मां का प्राचीन मंदिर, भगवान सूर्य से जुड़ा है महात्म्य 

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वाराणसी। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन भगवती के महागौरी स्वरूप की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। ऐसे में काशी स्थित मां के प्राचीन मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्त माता के दर्शन-पूजन कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। मंदिर परिसर माता के जयकारे से गुंजायमान हो रहा है। 

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काशी में पंचगंगा घाट क्षेत्र में मंगला गौरी मंदिर स्थित है। मां महागौरी को सौंदर्य, धन-संपदा और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। वे सृष्टि की आधारशिला और अक्षत सुहाग की प्रतीक हैं। काशी में हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजन के लिए सुबह से कतार में खड़े नजर आए। खासतौर से महिलाएं, जो नौ दिन का व्रत रखकर अष्टमी के दिन देवी के दर्शन के लिए मंदिरों में आती हैं।

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मंगला गौरी मंदिर के महंत नारायण गुरु ने बताया कि यह मंदिर भगवान सूर्य द्वारा स्थापित किया गया था। यहां माता का प्रतिदिन भव्य श्रृंगार किया जाता है और विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। महंत के अनुसार, माता महागौरी विशेष रूप से सुहाग और मंगलकामना की देवी मानी जाती हैं। महंत ने यह भी बताया कि जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पाता, उन्हें सावन मास से लेकर 14 मंगलवार तक मां मंगला गौरी का विधिवत पूजन, अन्नदान और दीपदान करना चाहिए। ऐसा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।

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देवी को सिंदूर, अक्षत, पीले या लाल रंग के फूल, चुनरी और नारियल अर्पित करने की परंपरा है। माता के इन रूपों के दर्शन से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आज के दिन पूरे शहर में भक्ति का वातावरण है और मंदिरों में जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। वहीं श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के समीप अन्नपूर्णा देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।

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