बैकुंठ चतुर्दशी पर एकाकार होगा हर और हरि का स्वरूप, बाबा का तुलसीदल से सहस्त्रार्चन 

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वाराणसी। बैकुंठ चतुर्दशी पर हरि और हर का स्वरूप एकाकार होगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ नारायण की पूजा का भी विशेष महत्व और विधान है। बाबा विश्वनाथ का तुलसीदल से सहस्त्रार्चन किया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम में चातुर्वेद पारायण के तहत 14 शाखाओं का वाचन होगा। इसके बाद बाबा का रुद्राभिषेक किया जाएगा। इस दौरान 151 वैदिक ब्राह्मणों और 100 बटुकों को सम्मानित किया जाएगा। 

बैकुंठ चतुर्दशी पर नारायण को तुलसीदल चढ़ेगा। वहीं काशी विश्वनाथ धाम से लेकर शहर के विष्णु मंदिरों में भी आयोजन होंगे। देवी पुराण में वर्णित है कि इस दिन माता पार्वती को जौ की रोटी का भोग लगाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। बैकुंठ चतुर्दशी पर भोग आरती के बाद प्रथम विश्वनाथ जी का और इसके उपरांत वैकुंठ जी का षोडशोपचार पूजन होगा।

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