काशी में स्वयंभू माने जाते हैं ओंकारेश्वर महादेव, कभी यहां था तारक कुंड, दर्शन से मिलता है यज्ञ के बराबर का फल

omkareshwar mahadev
WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। मंदिरों के शहर काशी में महादेव के असंख्य मंदिर है। कहा जाता है कि काशी का कण-कण शंकर है। इन्हीं मंदिरों में से एक है, काशी का ओंकारेश्वर महादेव मंदिर। कोयला बाजार के समीप स्थित ओंकारेश्वर महादेव का मंदिर काफी प्राचीन व पौराणिक माना गया है। मान्यता है कि यहां पर सिर्फ दर्शन-पूजन करने वालों को यज्ञ जैसा फल मिलता है। 

omkareshwar mahadev

इस मंदिर की सबसे बड़ी ख़ास बात यह है कि यह मंदिर एक टीले पर स्थित है। जहां पर पहुंचने के लिए नीचे से ऊपर तक पक्की सीढ़ियां बनायी गई है। पहले सीढ़िया नहीं थीं। वैसे तो यहां हर दिन दर्शन-पूजन होता है लेकिन सावन मास में इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। 

omkareshwar mahadev

ओंकारेश्वर के हैं तीन स्वरूप

ओंकारेश्वर के तीन स्वरूप हैं। इनमें प्रथम अकार, द्वितीय ऊंकार व तृतीय -मकार है। ये तीनों स्वरूप यहां पर विराजमान हैं। नाद और बिंदू लुप्त हैं। नाद का अर्थ है श्वांस व बिंदू हैं प्राणी में पांचों मिल कर ओंकार की रचना है। कभी यहां पर तारक कुंड हुआ करता था जहां पर अब कालोनी बन गई है। इस मंदिर के सामने मकारेश्वर महादेव का मंदिर है। 

omkareshwar mahadev

ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में वैसे तो अक्सर ही शृंगार होता है लेकिन सावन मास में बाबा का विशेष शृंगार किया जाता है। कोयला बाजार स्थित ओंकारेश्वर महादेव स्वयंभू शिवलिंग माने जाते हैं। मान्यता है कि यहां के दर्शन पूजन से एक लाख रुद्र जप करने का फल मिलता है। इस बात को स्वयं भगवान शिव ने कहा है कि जो ओंकारेश्वर के उपासक हैं, उनको कदापि मनुष्य नहीं समझना चाहिअ। वह मोक्षगामी जीव युक्त साक्षात रूद्र हैं। भगवान शिव सहस्त्र युग तक तपस्या करने वाले ब्रह्म पर प्रसन्न होकर ओंकार रुप में स्वयंभू प्रगट हुए और उन्हें वर प्रदान कर इसी महालिंग में लीन हो गये। 

omkareshwar mahadev

ओंकारेश्वर के महात्म्य से हैं अनभिज्ञ

ओंकारेश्वर के महात्म्य से बहुत लोग अनभिज्ञ हैं। पुराणों में उल्लेखित हैं कि ब्रह्माण्ड में जितने भी तीर्थ हैं वे सभी वैशाख की शुक्ल चतुर्दशी को ओंकारेश्वर के दर्शन को काशी आते हैं। ओंकारेश्वर के असंख्य सेवक इसी पार्थिव शरीर में दिव्य रुप से होकर परम सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। समस्त ब्रह्माण्ड में अविमुक्त क्षेत्र सबसे प्रधान है। उसके मत्स्योदरी के तीर पर स्थित ओंकारेश्वर का स्थान और भी श्रेष्ठ है। काशी खण्ड में स्पष्ट वर्णित है कि मत्स्योदरी तीर्थ में स्नान करने से ओंकारेश्वर का दर्शन करने वाले को पुर्नजन्म की यातना नहीं भुगतनी पड़ती है।

omkareshwar mahadev
 

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story