Ramnagar Ke Ramlila 2023 :‘ओ री सखी मंगल गाओ री...’ अयोध्या के आंगन में पड़े चार बहुओं के चरण, प्रजा में दौड़ी ख़ुशी की लहर
वाराणसी। आज अयोध्या जगमग हो गई। चारों ओर खुशियां ही खुशियां, स्वर्ग से देवता भी अयोध्या की इस ख़ुशी में शामिल हो रहे थे। आज अयोध्या के घर के आंगन में चारा बहुओं के एक साथ चरण पड़े थे। उनमें से एक थी जनकनंदनी वैदेही ‘सीता’। जिनका मर्यादा पुरुषोत्तम राम के साथ मिलन ही एक दैवीय कार्य संपन्न करने के लिए हुआ था।
राजा जनक को पुत्री विदा करने का स्वाभाविक दुःख था, लेकिन एक संतोष भी था कि सीता जिसकी अर्धांगिनी बनी है, वह साधारण मनुष्य नही है। रामलीला के आठवें दिन बेहद भावुक प्रसंगों का मंचन हुआ, तो अयोध्या के द्वार पर पालकी में बैठे श्रीराम सीता की भव्य झांकी लोगों को सम्मोहित कर गई।
आठवें दिन के प्रसंग में राजा जनक विदाई से पूर्व दशरथ को जेवनार के लिए बुलाते हैं। सभी को भोजन परोसा जाता है। उसी समय जनकपुर की स्त्रियां परंपरानुसार गारी गाने लगती है। इसे सुनकर दशरथ बहुत प्रसन्न हुए। दहेज का सारा सामान आदि देकर जनक अपनी पुत्री और बरात की विदाई करते हैं।
विदाई के दौरान राजा जनक, सुनयना और श्रीराम जानकी के मार्मिक संवाद लोगों की आंखे भिंगो गये। बारात विदा हो कर अयोध्या पहुँचती है। द्वार पर ही पालकी की अप्रतिम झांकी होती है। माताएं राम सीता का परिछन करके उनकी आरती उतार कर महल ले कर आती हैं। राजकुमारों और उनकी बहूओं को सिंहासन पर बैठाया जाता है। माताएं उन्हें आशीर्वाद देती है। दशरथ पुत्रों सहित स्नान आदि करके कुटुम्बियों को भोजन कराते हैं। उनको विदा करने के बाद रानियों को बुलाकर कहते हैं कि बहूएं अभी लरिका (बच्ची) हैं, तिस पर पराये घर से आईं हैं। उन्हें पलकों पर बिठा कर रखना। वह सब को शयन कराने के लिए कहते हैं। शयन की झांकी होती है। मुनि विश्वामित्र आश्रम जाने के राजा दशरथ से विदा मांगते है। दशरथ उनसे सदैव कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद मांगते हुए उन्हें विदाई देते हैं।
यही पर आठों स्वरूपों की आरती होती है। इसी के साथ ही आठवें दिन की लीला व बाल कांड का ‘जय श्रीराम’ और ‘हर-हर महादेव’ के गगनचुंबी उद्घोष के साथ समापन होता है।

