कोविड-19 के नए वेरिएंट JN.1 में तेजी से संक्रमण की क्षमता, पहले जितना घातक नहीं है वायरस, सावधानी जरूरी 

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वाराणसी। कोविड-19 ने एक बार फिर वाराणसी में दस्तक दी है। कोरोना वायरस का नया सब-वैरिएंट JN.1, जो ओमिक्रॉन परिवार का हिस्सा है। इसकी तेज़ी से फैलने की क्षमता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को अलर्ट है। आगरा में इस वैरिएंट से पहली मौत की पुष्टि हुई है, जबकि BHU में दो लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

 

BHU के वरिष्ठ जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के अनुसार, JN.1 वेरिएंट बेहद संक्रामक है और यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले कोविड से संक्रमित हो चुके हैं या जिन्होंने वैक्सीनेशन करवा रखा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह वेरिएंट दूसरी लहर जितना जानलेवा नहीं है, इसलिए लोगों को घबराने की ज़रूरत नहीं है लेकिन सतर्कता बेहद आवश्यक है।

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चौथी लहर की आशंका और उसका प्रभाव
प्रो. चौबे के अनुसार, यदि कोविड की चौथी लहर आती है, तो इसका प्रभाव सीमित होगा और यह लगभग 21 से 28 दिनों के भीतर अपने चरम पर पहुंचकर कम हो सकती है। यह अनुमान सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और अमेरिका जैसे देशों में देखे गए ट्रेंड पर आधारित है, जहां NB.1.8 और JN.1 जैसे नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण का समय सीमित रहा है।

भारत में पहले आई तीन लहरों के अनुभव को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण का यह नया दौर पहले की तुलना में कम गंभीर हो सकता है। पहली लहर के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन जैसे सख्त कदमों के चलते संक्रमण की रफ्तार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया था, जिससे यह लहर दो महीने में शांत हो गई थी। दूसरी लहर अधिक खतरनाक साबित हुई थी क्योंकि प्रतिबंध कम थे और वायरस की संक्रमण दर यानी R-नॉट रेट अधिक थी। यह लहर लगभग 21 दिनों में चरम पर पहुंच गई थी। तीसरी लहर ने भारत में लगभग 28 दिनों तक असर दिखाया।


गर्मियों में तेजी से फैलता है JN.1
JN.1 वेरिएंट को लेकर मौसम पर आधारित एक शोध में यह बात सामने आई है कि यह वेरिएंट गर्मी के मौसम में अधिक तेजी से फैलता है। अप्रैल के महीने में इसने अधिक प्रभाव डाला, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उच्च तापमान इसके संक्रमण को रोकने में कारगर नहीं है, जैसा पहले कुछ अन्य वायरसों के साथ देखा गया था। इसका एक प्रमुख कारण यह भी माना जा रहा है कि लोगों की इम्यूनिटी पहले की तुलना में कमजोर हो चुकी है। वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली समय के साथ कमजोर हो जाती है, जिससे नए वैरिएंट का असर बढ़ सकता है। हालांकि, वैक्सीनेशन से पूरी सुरक्षा नहीं मिलती, लेकिन यह गंभीर लक्षणों और अस्पताल में भर्ती होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम कर सकता है।

टेस्टिंग और जागरूकता की जरूरत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्टिंग और जीनोमिक सीक्वेंसिंग इस समय सबसे अधिक ज़रूरी है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कोई नया वेरिएंट सक्रिय है या नहीं। साथ ही, लोगों को भी अपने स्तर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति पॉजिटिव आता है, तो उसे घबराने की नहीं, बल्कि खुद को आइसोलेट करने और चिकित्सा सलाह लेने की जरूरत है।

संक्रमण के पुराने तरीके अब भी प्रभावी
JN.1 और NB.1.8 जैसे वेरिएंट्स भी पुराने कोरोना वायरस की तरह ही फैलते हैं। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने से हवा में छोटी-छोटी बूंदें निकलती हैं, जो दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकती हैं। संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क या उनके चेहरे, आंखों और मुंह को छूने से संक्रमण फैलने का खतरा होता है। इसके अलावा, वायरस सतहों पर भी बना रह सकता है। दरवाजों के हैंडल, मोबाइल फोन या अन्य सामान्य वस्तुओं को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है। भीड़भाड़ वाली या कम वेंटिलेशन वाली जगहों पर वायरस के छोटे कण हवा में देर तक रह सकते हैं। इसलिए मास्क पहनना, हाथ धोना और सामाजिक दूरी बनाए रखना अब भी बेहद ज़रूरी है।

देश में कोविड के नए वेरिएंट JN.1 के मामले सामने आ रहे हैैं, लेकिन यह घातक नहीं माना जा रहा है। विशेषज्ञों की सलाह है कि लोग घबराएं नहीं, बल्कि सतर्क रहें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें, भीड़ से बचें, मास्क लगाएं और समय-समय पर जांच कराते रहें। इस बार लड़ाई जागरुकता और सतर्कता से जीती जा सकती है।

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