वाराणसी गैंगरेप केस में नया मोड़: पीड़िता की सहेली पहली बार आई सामने, पुलिस और प्रशासन के सामने दिया यह बयान
गिरफ्तार किए गए युवकों के परिवार वालों ने मंगलवार को विरोध जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। एसीपी भेलूपुर इशान सोनी ने ज्ञापन लेकर मामले को शांत कराया। परिजनों का कहना है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे व्यापक आंदोलन छेड़ने को बाध्य होंगे। उनका आरोप है कि जिन युवकों को जेल भेजा गया है, वे निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक या निजी रंजिश के चलते फंसाया गया है।

इस पूरे प्रकरण में पीड़िता की एक सहेली ने खुद सामने आकर मीडिया से बात की और घटना की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए। उसने कहा, "मैं उसकी सहेली रही हूं, लेकिन अब खुद को उसका दोस्त कहना मेरे लिए शर्मनाक है। वो जिस तरह का चाल-चलन रखती है, वैसी लड़कियां दोस्ती के लायक नहीं होतीं।"
उसने दावा किया कि कथित पीड़िता उस पूरी अवधि में उसके साथ थी और उसने किसी भी तरह की घटना का कोई संकेत तक नहीं दिया। सहेली ने इस मामले को एक गहरी साजिश करार देते हुए कहा कि कुछ लोग मिलकर निर्दोष लड़कों को फंसाने की चाल चल रहे हैं। वहीं उसने कहा कि उसे अक्सर घूमने का चस्का लगा हुआ था। वह जिस तारीख को गैंगरेप की बात कह रही है, वह उस दिन मेरे साथ थी। ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई है।

विरोध प्रदर्शन में शामिल दिलशाद अहमद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस गैंगरेप केस को लेकर इतना बवाल मचाया जा रहा है, वह असल में गलत है। हमने सारे सबूत पुलिस को सौंप दिए हैं, लेकिन बावजूद इसके हमारे निर्दोष बच्चों को जेल में बंद कर दिया गया है। वहीं, वह लड़की खुलेआम घूम रही है और वसूली जैसे कार्यों में लिप्त है।"
एक अन्य प्रदर्शनकारी गुड्डू मालिक ने कहा कि हम किसी अपराधी का समर्थन नहीं कर रहे, लेकिन निर्दोष युवकों को जेल भेजना न्याय नहीं है। अगर लड़की के साथ सच में कुछ गलत हुआ है, तो उसे अवश्य न्याय मिलना चाहिए। पर हमने जो सबूत पुलिस को सौंपे हैं, वे यह साबित करते हैं कि आरोपी बताए जा रहे युवक निर्दोष हैं।

