काशी विश्वनाथ मंदिर में नया विवाद, मंदिर प्रशासन पर लगा 350 वर्ष पुरानी परम्परा को तोड़ने का आरोप, जानिए क्या है मामला
अफसरों ने पंडित वाचस्पति से बात की। क्योंकि उनके पास यात्रा निकालने के लिए अनुमति नहीं है। इसके बाद दिवंगत महंत कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी ने अनशन शुरू कर दिया। ACP दशाश्वमेध प्रज्ञा ने आश्वासन दिया कि ये मामला आलाधिकारियों तक ले जाया जाएगा। वह अनशन न करें। इसके 20 मिनट के बाद मोहिनी ने अनशन तोड़ दिया।
जानकारी के मुताबिक, रक्षाबंधन के एक दिन पहले टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर मंगला आरती के साथ झूलन उत्सव के आयोजन शुरू होते हैं। इसके बाद पूर्णिमा को दोपहर में बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का शृंगार किया जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर दोपहर 2 बजे से लगभग शाम 6 बजे तक आम भक्तों को दर्शन मिलता था।
इसके बाद महंत आवास से बाबा विश्वनाथ चांदी की पालकी पर सवार होकर काशी की सड़कों पर निकलते हैं। शृंगार भोग आरती के दौरान डमरू और शहनाई वादन के बीच बाबा की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाता रहा है। महंत परिवार का दावा है कि यह परंपरा 350 साल पुरानी है।
टेढ़ीनीम महंत आवास (गौरा-सदनिका) पर पं. वाचस्पति तिवारी ने कहा - मंदिर की स्थापना काल से ही मेरे पूर्वज मंदिर से जुड़ी परंपराओं को निभा रहे हैं। अन्नकूट, रंगभरी और श्रावण पूर्णिमा के अनुष्ठान महंत आवास से होते रहे हैं। मगर इस बार मंदिर न्यास पुरानी परंपराएं तोड़ना चाहता है।
मुझे आज सुबह ही पता चला कि मंदिर न्यास पुरानी परंपरा तोड़ने जा रहा है। यह तो काशी के लोगों की परंपरा है। इसको तोड़ना नहीं चाहिए। हम काशी के लोगों से आह्वान करते हैं कि इसका विरोध करें। हम तय समय पर प्रतिमा को गर्भगृह पर लेकर जाएंगे।
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