Navratri Special: काशी के जैतपुरा में स्थित है स्कंदमाता का मंदिर, दर्शन से पूरी होती है भक्तों की मुराद, काशी खंड में मिलता है उल्लेख, जानिए कैसे पहुंचे यहां

Skandmata Mandir
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वाराणसी। नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, मोक्ष और समस्त इच्छाओं को पूरा करने वाली देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्युलोक में सुख और शांति प्रदान करने वाली मां स्कंदमाता के प्रमुख मंदिर कहां-कहां हैं? यदि नहीं, तो आइए जानते हैं वाराणसी में स्थित एकमात्र स्कंदमाता मंदिर के बारे में, जहां मां के दर्शन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

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ज्योतिष और पुरोहितों के अनुसार, वाराणसी के जैतपुरा इलाके में बागेश्वरी देवी मंदिर के परिसर में मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, स्कंदमाता का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड और देवी पुराण में भी मिलता है। 

Skandmata Temple

काशी की रक्षा करने वाली मां स्कंदमाता 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय वाराणसी में देवासुर नाम के राक्षस ने साधु-संतों और आम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया था। तब मां स्कंदमाता ने इस राक्षस का संहार कर, काशी को उसके आतंक से मुक्त कराया। इसके बाद से मां स्कंदमाता की यहां पूजा-अर्चना शुरू हुई और कहा जाता है कि मां अब भी काशी की बुरी शक्तियों से उसकी रक्षा करती हैं।

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एकमात्र स्कंदमाता मंदिर  

मां दुर्गा के पांचवें रूप, स्कंदमाता का यह मंदिर भारत में अपनी तरह का इकलौता है, जो वाराणसी में स्थित है। इस मंदिर की विशेष मान्यता है और यहां पर स्थापित मूर्ति में स्कंदमाता चार भुजाओं के साथ विराजमान हैं। उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय भी हैं।  

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मंदिर के दर्शन का समय और महत्व

हालांकि यहां हर समय श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष रूप से भक्तों की संख्या कम रहती है। मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6:30 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। बाकी दिनों में दोपहर को कुछ समय के लिए मंदिर बंद रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यह पूरे दिन खुला रहता है। 

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कैसे पहुंचें स्कंदमाता मंदिर

भारत के किसी भी हिस्से से आप वाराणसी आकर आसानी से इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। वाराणसी रेलवे स्टेशन से टैक्सी या कैब लेकर जैतपुरा स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में पहुंचा जा सकता है, जहां स्कंदमाता मंदिर स्थित है। कहते हैं, जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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