Navratri 2023 : सातवें दिन माता कालरात्रि के दर्शन-पूजन को उमड़े भक्त, काल का विनाश करती हैं मां 

WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। शारदीय नवरात्र का सातवां दिन माता कालरात्रि को समर्पित है। सप्तमी तिथि को कालरात्रि के दर्शन-पूजन का विशेष लाभ मिलता है। वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ धाम के समीप कालिका गली में माता का प्राचीन मंदिर है। यहां मंगला आरती के बाद भोर से ही माता के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की लाइन लगी है। माता काल का विनाश करती हैं। वहीं अपने भक्तों को सभी प्रकार के ग्रहों के भय-बाधा से मुक्ति प्रदान करती हैं। 

कई नामों से जानी जाती हैं मां 
मां कालरात्रि को महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त मां कालरात्रि की नवरात्र की सप्तमी तिथि के दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन तंत्र-मंत्र के साधक भी मां कालरात्रि की आराधना में लीन रहते हैं। अन्य दिनों की पूजा से हटकर भी मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से शनि की ढैय्या का प्रभाव भी कम होता है। 

vns
अंधकार की भांति काला है माता का वर्ण 
माता का वर्ण अंधकार की भांति काला होता है। काले अथवा श्याम रंग की वजह मां का क्रोध था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार असुरों के प्रकोप और हाहाकार से मां भयंकर रूप से क्रोधित हो गई थीं। इससे उनका रंग श्यामल हो गया। माता की चार भुजाएं हैं और शिव की तांडव मुद्रा में नजर आती हैं। मां की आंखों से अग्नि की लपटें निकलती हैं। एक हाथ में मां शत्रुओं की गर्दन और दूसरे में तलवार पकड़कर युद्धस्थल पर निकलती हैं। उनकी सवारी गर्दभ यानी गधा है। 

vns

सभी मनोकामना पूरी करती हैं मां 
मंदिर के महंत राजीव ने बताया कि नवरात्रि के सप्तमी तिथि को मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप का दर्शन-पूजन होता है। मान्यता है कि आज के दिन दर्शन से भक्तों की समस्त बाधाओं की शांति होती है। अच्छा स्वास्थ्य, धन की प्राप्ति होती है। भक्त जो भी कामना लेकर माता के दरबार में आता है, वह पूरी होती है। मां का सबसे प्रिय भोग मालपुआ माना गया है। दही, मलाई चढ़ाया जाता है। शुक्रवार को माता को गुड़ अत्यंत प्रिय है, इसलिए चढ़ाया जाता है। माता का पंचामृत स्नान और श्रृंगार के बाद भोर में 3.45 बजे पट खोल दिया गया। तभी से भक्तों के दर्शन-पूजन का क्रम जारी है। दर्शनार्थी शीतल ने कहा कि माता कालरात्रि मंदिर में आकर लगता है मानो अपना घर है। माता का स्वरूप भले ही भयानक है, लेकिन यह शुभ फल देने वाली हैं।

vns

Share this story