Navratra 2024 : पांचवें दिन स्कंदमाता के दर्शन को उमड़े भक्त, सच्चे मन से स्तुति करने से होता है भाग्योदय, संतान प्राप्ति का मिलता है आशीर्वाद
वाराणसी। नवरात्र के पांचवें दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा का विधान है। वाराणसी के जैतपुरा में मां का मंदिर स्थित है। यहां शनिवार की भोर से ही भक्तों का तांता लगा है। भक्त मां के दर्शन कर कल्याण की कामना कर रहे हैं। मां की आराधना से भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं। वहीं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
बनारस के जैतपुरा में स्कंदमाता का मंदिर है। इस मंदिर में माता बागेश्वरी विराजमान हैं, जिन्हें देवी सरस्वती का रूप माना जाता है। वहीं स्कंदमाता चतुर्भुज स्वरूप में यहां विराजमान हैं। उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं। इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। यही कारण है इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। माता का वाहन सिंह भी है।
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का विधान है। उनकी पूजा करने से सुख, ऐश्वर्य और मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा हर तरह की इच्छाएं भी पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद ही पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। ये देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं।
मंदिर के महंत बताते हैं कि मां की पूजा करने से सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। जिस तरह मां अपने बच्चों को ममता देती है, इसी तरह माता भक्तों को वात्सल्य देती हैं। माता का दर्शन करने से भक्तों के तेज में वृद्धि होती है। यदि माता का आशीर्वाद मिल गया तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भक्त माता को श्रद्धा के साथ जो भी अर्पित कर दें, वह सब स्वीकार कर लेती हैं। वहीं महिलाओं को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
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