देवी कूष्मांडा का नवरंग श्रृंगार, मां के विशिष्ट स्वरूप के दर्शन को उमड़े भक्त, युवा कलाकारों ने प्रस्तुतियों से किया मंत्रमुग्ध
वाराणसी। दुर्गा मंदिर श्रृंगार व संगीत समारोह के चौथे दिन मंगलवार की शाम देवी का नवरंग श्रृंगार किया गया। मां के अद्भुत स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। इस दौरान काशी के युवा कलाकारों ने दुर्गा मंदिर के मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
चौथे दिन के श्रृंगार महोत्सव में भक्तों ने मां कूष्माण्डा के नवरंग श्रृंगार का दर्शन किया। पंचामृत स्नान के बाद पण्डित संजय दुबे ने मां का श्रृंगार नव रंग के फूलों और मोतियों की मालाओं से किया, जिससे मां का आभामंडल चमक उठा। संगीत की चौथी निशा की शुरुआत काशी की डॉ. सुप्रिया शाह के सितार वादन से हुई। उन्होंने राग बिहाग में अलाप, जोड़ और झाला की प्रस्तुतियां दी, और राग मिश्र पीलू की मखमली धुन से समापन किया। उनके साथ तबले पर सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने संगत की। इसके बाद, नीरज मिश्र ने सितार पर देवी धुन, रूपक ताल में बन्दिश, मध्य लय एक ताल और द्रुत बन्दिश तीन ताल में प्रस्तुत की। सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने यहां भी तबले पर संगत की। तीसरी प्रस्तुति में युवा सरोद वादक अंशुमान महाराज ने राग गोरख कल्याण में अलाप, रूपक और तीन ताल में धुन प्रस्तुत की, और प्रसिद्ध भजन 'मैं बालक तू माता शेरा वालिये' की धुन सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। उनके साथ तबले पर उदय शंकर ने संगत की।
चौथी प्रस्तुति दिल्ली के बांसुरी वादक अजय प्रसन्ना ने दी। उन्होंने राग दुर्गा में मां की स्तुति की, फिर ध्रुपद अंग गायकी शैली में पखावज के साथ प्रस्तुति दी, और अंत में राग चंद्रकौष में धुन सुनाई। 'नीमिया की डारि' की धुन के साथ समापन हुआ। इस प्रस्तुति में तबले पर गौरव चक्रवर्ती, पखावज पर आदित्य सेन, और सह बाँसुरी पर मुकुन्द शर्मा ने सहयोग किया। पांचवें प्रदर्शन में बनारस के उभरते सितारे कृष्णा मिश्रा ने सितार पर राग गंगा रंजिनी की अनूठी प्रस्तुति दी। उन्होंने आलाप से शुरुआत कर झपताल, द्रुत तीन ताल और झाला तिहाई की प्रस्तुतियां दी। राग पहाड़ी में धुन सुनाकर माँ कूष्माण्डा को अपनी संगीतांजलि अर्पित की। तबले पर श्रीकांत मिश्रा ने संगत की। कलाकारों का सम्मान महंत राजनाथ दुबे और विकास दुबे ने किया। कार्यक्रम की व्यवस्था चंदन दुबे, किशन दुबे और चंचल दुबे ने संभाली। संचालन प्रीतेश आचार्य और ललिता शर्मा ने किया।
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