राष्ट्रीय बीज कांग्रेस का हुआ समापन, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने साझा किए अनुभव, राज्यमंत्री बोले, कृषि विकास में मील का पत्थर साबित होगा आयोजन 

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वाराणसी। 13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस तीन दिवसीय आयोजन ने किसानों, शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों, छात्रों और नीति निर्माताओं को एक मंच प्रदान किया, जहां भारतीय बीज तंत्र को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। इस बार का मुख्य विषय "स्थिर बीज पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नवाचार" था, जिसमें 700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। समापन समारोह में पहुंचे उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने इस आयोजन को राज्य के कृषि विकास के लिए मील का पत्थर बताया। 

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उन्होंने कहा कि विविध कृषि जलवायु, बड़े कृषि क्षेत्र और समर्पित किसानों के साथ उत्तर प्रदेश उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन का केंद्र बन सकता है। उन्होंने हाइब्रिड बीज, बायोफोर्टिफाइड फसलें और सब्जी बीजों तक किसानों की पहुँच बढ़ाने पर जोर दिया। इरी (IRRI) की डायरेक्टर जनरल डॉ. यवोन पिंटो ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने भारत में बीज प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और किसानों को सशक्त करने में इरी की प्रतिबद्धता दोहराई। वहीं, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू ने बीज तंत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदारी और मजबूत वितरण नेटवर्क की आवश्यकता पर बल दिया।

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इस कांग्रेस में तकनीकी और सामान्य सत्रों के माध्यम से विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें हाइब्रिड और बायोफोर्टिफाइड फसलों की तकनीक, जलवायु-संवेदनशील प्रथाएँ, जैसे सीधे बोई गई चावल (DSR), शून्य जुताई, और बीज उद्यमिता को बढ़ावा देना शामिल है। कांग्रेस के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में किसानों और शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक उपकरणों से परिचित कराया गया। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पंजाब सिंह ने बीजों को कृषि की नींव बताते हुए कहा कि मजबूत बीज तंत्र खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का आधार है। समापन के अवसर पर बीज क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित किया गया।

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फसल की गुणवत्ता के अनुसार किसानों को मिलेगा पेमेंट 
13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस 2024 ने नवाचार, समावेशन और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय बीज तंत्र को एक नई दिशा दी है। इसकी सिफारिशों का क्रियान्वयन भारतीय कृषि के भविष्य को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। तारा इंटरनेशनल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्वेता पटेल ने बताया कि उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए उपकरण फसलों के मॉइश्चर स्तर का पता लगाकर उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हैं। उन्होंने कहा कि शोध आधारित कृषि से किसानों की आय में वृद्धि होगी। फसल की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को पेमेंट की नीति जल्द ही लागू हो सकती है। जिस किसान की फसल जितनी गुणवत्तापूर्ण होगी, किसान को उतना ही अधिक पेमेंट मिलेगा।

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