नाटी इमली भरत मिलाप : 14 वर्षों के वनवास के बाद आज चारों भाइयों का होगा मिलन, पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या पहुंचेंगे रघुनंदन 

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वाराणसी। काशी के लक्खा मेलों में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप बुधवार की शाम होगा। इस दौरान कुछ समय के लिए शिव की नगरी काशी राममय हो जाएगी। नाटी इमली ग्राउंड पर पिछले 480 सालों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। यहां 1 लाख से ज्यादा राम भक्त और दर्शक आते हैं। जहां पर सूर्य की डूबती किरणों की आभा के साथ भगवान राम और भरत का मिलाप देखते हैं। इसका प्रसारण आकाशवाणी पर भी किया जाएगा। 


लंका विजय के बाद भगवान राम, माता सीता व लक्ष्मणके साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटते हैं। चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आयोजित भरत मिलाप में पांच हजार किलो वजनी धातु निर्मित पुष्पक विमान पर सवार होकर भगवान राम माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ पहुंचतें हैं। भगवान राम व लक्ष्मण विमान से उतरकर धरती पर दंडवत होंगे, तभी भरत और शत्रुघ्न की ओर तेजी से दौड़ेंगे। परंपरा के मुताबिक सफेद धोती, साफा, लंबी बनियान व आंखों में सुरमा लगाए यादव इस पुष्पक विमान को उठाते हैं। साथ में काशी राज परिवार बग्घी से चलता है। इस दौरान सड़क के दोनों तरफ, छतों पर और नाटी इमली मैदान में लाखों की भीड़ उमड़ती है। लोग जय सियाराम का उद्घोष करते रहते हैं। वहीं मानस मंडली की ओर से भरत मिलाप के दौरान चौपाई का पाठ किया जाता है। 

दोनों भाइयों पर पड़ती है सूरज की रोशनी 
बुधवार की शाम चार पौने पांच बजे भरत मिलाप होगा। इस समय सूरज की रोशनी सीधी भगवान राम और भरत पर पड़ती हैं। चाहे बारिश हो या बादल छाए हो या बादल, लेकिन सूरज की रोशनी चंद सेकेंड के लिए जरूर पड़ती हैं। भरत मिलाप के दौरान काशी की सभी लीलाएं कुछ समय के लिए रोक दी जाती हैं। काशीराज परिवार की ओर से परंपरा के अनुरूप लीला के व्यवस्थापकों को सोने की गिन्नियां दी जाती हैं।

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