काशी आएंगे नागा साधु, महाशिवरात्रि पर निकलेगी पेशवाई, मां गंगा के तट पर रमाएंगे धुनि
वाराणसी/प्रयागराज। महाकुंभ के तीन अमृत स्नान संपन्न होने के बाद अब संगम तट पर बसे अखाड़ों का डेरा उठने लगा है। प्रयागराज में आध्यात्मिक अनुष्ठानों के बाद संतों और नागा साधुओं का अगला पड़ाव बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी होगा। यहां मां गंगा के तट पर नागा साधु धुनी रमाकर साधना करेंगे। नागा संन्यासियों का जत्था शुक्रवार से काशी पहुंचना शुरू करेगा।

महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधु शुक्रवार शाम चार बजे तक काशी में प्रवेश कर सकते हैं। आगमन के कुछ घंटों के भीतर ही पेशवाई निकाली जाएगी, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ेगा। अखाड़े के श्रीमहंत यमुना पुरी महाराज के अनुसार, पेशवाई की तैयारियों की जिम्मेदारी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी को सौंपी गई है। वे आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने के लिए पूर्ण समर्पण से जुटे हुए हैं।
सात फरवरी को काशी में प्रवेश करेंगे अन्य अखाड़े
श्रीशम्भू पंचायती अटल अखाड़ा के नागा साधु भी सात फरवरी की शाम काशी पहुंचेंगे। अखाड़े के श्रीमहंत बलराम भारती महाराज ने बताया कि नागा साधु हनुमान मठ, कतुआपुरा मोहल्ले में प्रवास करेंगे। हालांकि, अटल अखाड़ा की पेशवाई अलग से नहीं निकलेगी, बल्कि वे महानिर्वाणी अखाड़े के साथ समस्त आयोजनों में सम्मिलित होंगे।
इसके अलावा, श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़े के संत भी सात फरवरी को काशी आएंगे। कुछ संत कबीरचौरा स्थित मठ में ठहरेंगे, तो कुछ दशाश्वमेध घाट पर प्रवास करेंगे। इस अखाड़े की पेशवाई महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को निकाली जाएगी, जो काशी की आध्यात्मिक भव्यता को और अधिक बढ़ाएगी।
जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई महाशिवरात्रि पर
श्रीपंच अग्नि अखाड़े के संत 10 या 11 फरवरी को काशी पहुंचेंगे और राजघाट स्थित अखाड़े के मठ में प्रवास करेंगे। उनकी पेशवाई भी 26 फरवरी को जूना और आवाहन अखाड़े के साथ निकाली जाएगी।
श्रीपंचदशनाथ जूना अखाड़ा के श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र में नौ फरवरी को ‘कड़ी पकौड़ी’ की रस्म संपन्न होगी। इसके बाद 10 या 11 फरवरी को संत काशी में प्रवेश करेंगे और बैजनत्था स्थित जपेश्वर महादेव मंदिर और हनुमान घाट स्थित मठ में प्रवास करेंगे। जूना अखाड़े की पेशवाई महाशिवरात्रि पर हनुमान घाट से निकलेगी।

आनंद और निरंजनी अखाड़ों का नगर प्रवेश
आनंद अखाड़ा के श्रीमहंत शंकराचानंद सरस्वती महाराज के अनुसार, उनके अखाड़े के साधु कपिलधारा क्षेत्र स्थित आश्रम में प्रवास करेंगे। वहां महाशिवरात्रि तक विभिन्न अनुष्ठान संपन्न होंगे। आनंद अखाड़ा की ओर से पेशवाई नहीं निकाली जाती, लेकिन संतों का प्रवास श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना रहेगा।
इसी प्रकार, निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने बताया कि उनके अखाड़े के संत भी सात फरवरी को काशी आएंगे और शिवाला घाट पर प्रवास करेंगे।

अखाड़ों की परंपराएं और आराध्य देवता
महाकुंभ के दौरान अखाड़ों ने संगम के पवित्र तट पर एक से डेढ़ महीने तक अपने आराध्य देवताओं के साथ धर्मध्वज तले साधना की। जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि धर्मध्वज अखाड़ों की पहचान का प्रतीक होता है। साधु-संतों का पूजन और अमृत स्नान इसी ध्वज के सान्निध्य में होता है।

शैव, वैष्णव, वैरागी, उदासीन और सिख संप्रदाय के कुल 13 अखाड़ों के अलग-अलग आराध्य देवता हैं। जूना अखाड़ा भगवान दत्तात्रेय, अटल अखाड़ा भगवान गणेश, आनंद अखाड़ा सूर्यदेव, निरंजनी अखाड़ा भगवान कार्तिकेय, महानिर्वाणी अखाड़ा कपिल मुनि और पंच अग्नि अखाड़ा अग्नि देव व गायत्री माता की आराधना करता है।

