मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना : वीडीए को लगा तगड़ा झटका, किसानों को मिला स्टे 

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हाईकोर्ट में हुई बहस के दौरान न्यायाधीश ने कहा-किसान अपनी बात रखना चाहेंगे तो उन्हें मारोगे

वाराणसी। मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना के तहत किसानों की जमीन पर कब्जे को लेकर बवाल के बाद बुधवार को प्रशासन को तगड़ा झटका लगा है। इस योजना को लेकर किसानों की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर आज सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया। न्यायालय ने वीडीए के अधिवक्ता को कड़े लहजे में समझाया। किसानों की ओर से हाईकोर्ट में उपस्थित हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार सचान ने यह जानकारी दी है।

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बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों की ओर से अधिवक्ता अश्विनी कुमार सचान, किसान संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी व याचिकाकर्ता वीरेंद्र उपाध्याय, बैरवन के पूर्व प्रधान कृष्णा प्रसाद उर्फ छेदी लाल उपस्थित हुए। कृष्णा प्रसाद मंगलवार को लाठीचार्ज के दौरान घायल हुए थे और सिर में पट्टी बंधी थी। सूत्रों के अनुसार अदालत में किसानों के वकील की ओर से एक दिन पहले हुए बवाल के दौरान पुलिस कार्रवाई और घायलों से सम्बंधित वीडियो और फोटोग्राफ न्यायालय को दिये गये। सुनवाई के दौरान वीडीए के अधिवक्ता ने कहाकि प्रशासन जिन किसानों को मुआवजा दे चुका है उन जमीनों पर कब्जा ले रहे हैं। इस पर किसानों की ओर से कहा गया कि 337 किसानों का 2012 में अवार्ड किया गया। जबकि 857 किसानों ने कोई मुआवजा ही नही लिया है। जबकि इससे पहले वर्ष 2003 में ही वीडिए ने बिना सबको मुआवजा दिये किसानों का खतौनी से नाम काटकर अपना नाम चढ़वा लिया।  कोर्ट में बहस के दौरान माननीय न्यायाधीश ने कहाकि धारा 5 के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति नही ली गई। किसानों के एवार्ड पर बहस हुई तो न्यायाधीश ने कहाकि आप जमीन पर कब्जा लेने जाओगे और किसान अपनी बात कहना चाहेगा तो उसकी नही सुनेंगे। उन्हें मारोगे। इसके साथ ही अदालत में दोनों पक्षों की ओर से तर्क दिये गये। अदालत ने स्थगन आदेश दे दिया। इस दौरान वीडीए के वकील अपनी बात कहने की कोशिश कर रहे थे तो अदालत ने कहाकि अगली डेट पर बात रखना।

रतलब है कि मोहनसराय ट्रान्सपोर्ट नगर योजना को लेकर चार गांवों के किसान 21 साल से आंदोलन कर रहे हैं। धरना-प्रदर्शन, महापंचायतों के जरिए किसान अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों और वीडीए के अफसरों के बीच कई चक्र की वार्ता हुई लेकिन दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर ही अड़ा रहा जिससे आजतक सहमति नही बन पाई। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में मामला लम्बित है। किसानों को कहना है कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार नही किया और मनमाने ढंग से जमीन पर कब्जे के लिए तानाशाही रवैया अपनाया। 
 

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