एमडीएसआर और सुमन कार्यक्रम से मातृ मृत्यु-दर में आएगी कमी, चिकित्सा और एंबुलेंस व्यवस्था में हो रहा सुधार
वाराणसी। जनपद में मातृ मृत्यु-दर को कम करने के लिए एमडीएसआर (मैटर्नल डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस) और सुमन कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य मातृ मृत्यु के कारणों की विस्तृत समीक्षा कर आवश्यक सुधार लाना है। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) 2018-20 के अनुसार, उत्तर प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 167 प्रति 1 लाख जीवित जन्म है। इसे वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के तहत 70 से कम करना है।
सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने बताया कि एमडीएसआर कार्यक्रम के तहत, गर्भवती और प्रसूताओं की मृत्यु के कारणों की जांच कर कुपोषण, त्वरित चिकित्सा सेवाओं और एंबुलेंस व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है। 15 से 49 वर्ष की गर्भवती और प्रसूताओं की मृत्यु की रिपोर्टिंग आशा कार्यकर्ता करेंगी। चाहे मृत्यु अस्पताल, घर, या रास्ते में हो, सभी मामलों की जांच कर कमियों को दूर किया जाता है। चिकित्सकों की टीम मृतक के घर जाकर जांच और ऑडिट करती है।
डॉ. एचसी मौर्या, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी (आरसीएच), ने बताया कि सुमन कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्तर पर मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले प्रथम सूचना प्रदाता को रु. 1,000/- की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसमें आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि, या कोई भी नागरिक शामिल हो सकता है, बशर्ते वह स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध न हो। सूचना प्रक्रिया में आशा और एएनएम द्वारा फार्म-1 से लेकर फार्म-6 तक सभी विवरण दर्ज किए जाएंगे। मृत्यु की जांच और फार्म भरने की प्रक्रिया 21 दिनों के भीतर पूरी होगी। यह कार्यक्रम मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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