बिजली के निजीकरण के खिलाफ बनारस में बिजली कर्मियों की विशाल बाइक रैली, लखनऊ में करेंगे सात दिवसीय अनशन

इस रैली की शुरुआत भारत माता मंदिर से हुई, जहां बिजलीकर्मियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में शहीद हुए पर्यटकों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद हजारों की संख्या में बाइक पर सवार कर्मियों ने पूरे शहर में रैली निकालकर सरकार को निजीकरण के खिलाफ अपने रोष से अवगत कराया।
रैली में अवर अभियंता, जूनियर इंजीनियर सहित अन्य तकनीकी और संविदा कर्मचारी सम्मिलित हुए। सभी की मोटरसाइकिलों पर निजीकरण के विरोध में स्टीकर लगे थे, और हेलमेट पर भी विरोध के संदेश अंकित थे। इस अनुशासित और शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने शहरवासियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
संघर्ष समिति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रयास, और इसके चलते संविदा कर्मियों को हटाए जाने का आदेश न केवल अमानवीय है बल्कि पहले से हुए दो समझौतों (5 अप्रैल 2018 व 6 अक्टूबर 2020) का भी उल्लंघन है। समिति का कहना है कि इन समझौतों में यह स्पष्ट था कि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना किसी प्रकार का निजीकरण नहीं किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने संघर्ष समिति से कोई संवाद किए बिना केवल निजी कंसल्टेंट कंपनियों के भरोसे पर निर्णय लेना शुरू कर दिया है। समिति का यह भी कहना है कि ऊर्जा विभाग के इस निर्णय से औद्योगिक अशांति फैल रही है, जो इस भीषण गर्मी में बिजली व्यवस्था को बाधित कर सकती है।
रैली के माध्यम से समिति ने यह घोषणा किया कि 2 मई से लखनऊ स्थित शक्ति भवन पर 7 दिवसीय क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के बिजली कर्मचारी भी इस आंदोलन के समर्थन में क्रमिक अनशन में भाग लेंगे। लखनऊ के स्थानीय बिजलीकर्मी हर दिन धरने में उपस्थित रहेंगे। इस बीच प्रदेश के अन्य जनपदों और परियोजनाओं में विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने का अभियान भी चलाया जाएगा।
बाइक रैली का सफल नेतृत्व ई. अविनाश कुमार, ई. नरेंद्र वर्मा, ई. मायाशंकर तिवारी, ई. नीरज बिंद, प्रमोद कुमार, राजेंद्र सिंह, संतोष वर्मा, अंकुर पांडेय, सहित कई वरिष्ठ अभियंताओं और कर्मचारियों ने किया।