महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच खेली गई मसाने की होली, नागा साधुओं ने गले में नरमुंडों की माला पहनकर किया तांडव

वाराणसी। काशी के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर इस बार भी अनूठी परंपरा के तहत मसाने की होली धूमधाम से मनाई गई। जहां एक ओर चिताएं जल रही थीं और लोग अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर डमरू की गूंज, तेज डीजे की धुन और राख उड़ाते श्रद्धालु इस अनोखी होली का आनंद ले रहे थे।
घाट पर नागा साधुओं में किसी ने गले में नरमुंडों की माला डालकर तांडव किया, तो किसी ने डमरू की थाप पर नृत्य किया। नागा संन्यासियों ने त्रिशूल और तलवारें लहराकर अद्भुत नजारा पेश किया। इसी बीच शवयात्राएं भी घाट से गुजरती रहीं, लेकिन उत्सव का माहौल बना रहा। रंग और राख से सराबोर विदेशी पर्यटक भी झूमते नजर आए।
मणिकर्णिका घाट पर हर साल रंगभरी एकादशी के अगले दिन मसाने की होली खेली जाती है, जहां रंगों के साथ चिता की भस्म भी उड़ती है। डमरूओं की गूंज के बीच घाट पर श्रद्धालु राख और गुलाल से होली खेलते हैं, जो जीवन-मृत्यु के बीच संतुलन और शिव की आराधना का प्रतीक माना जाता है।
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