महाकुंभ 2025 : काशी आएंगे तीन शंकराचार्य, होंगे वैदिक अनुष्ठान और धर्म चर्चा

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वाराणसी। महाकुंभ में तीनों पीठ के शंकराचार्य संगम स्नान, यज्ञ, पूजन और धर्म संसद जैसे धार्मिक आयोजनों में भाग ले रहे हैं। इसके बाद काशी में वैदिक अनुष्ठानों और सभाओं का आयोजन होगा। शृंगेरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य भारती तीर्थ के उत्तराधिकारी विधुशेखर भारती 31 जनवरी को काशी आएंगे। उनके साथ 500 साधु-संत और तीन हजार अनुयायी होंगे। वह आठ दिनों तक काशी में चंद्रमौलिश्वर पूजा, सहस्त्रचंडी यज्ञ, अतिरुद्र यज्ञ, ललिता सहस्त्रार्चन, कोटि कुंकुंमार्चन, अधिवास हवन और विद्वत सभा में भाग लेंगे।

महाकुंभ में 14 अखाड़ों के अलावा मठों, आश्रमों और पंथों के शिविरों में धार्मिक सभाएं हो रही हैं। गोवर्धन मठ पुरी के स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गो रक्षा, धर्म संसद, विद्वत सभा और महायज्ञ जैसे आयोजनों में सम्मिलित हैं। वहीं, शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती 24 जनवरी को महाकुंभ पहुंचेंगे और विविध अनुष्ठानों में भाग लेने के बाद 31 जनवरी को पहली बार काशी आएंगे।

शृंगेरी मठ के प्रबंधक चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद शास्त्री ने बताया कि काशी में शंकराचार्य के स्वागत की व्यापक तैयारियां चल रही हैं। शहर में आठ स्वागत द्वार बनाए जाएंगे। मठ में यज्ञ कुंड तैयार हो चुके हैं और टेंट लगाए गए हैं। चिंतामणि गणेश मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव और अन्य प्रबुद्धजनों के साथ बैठक में तैयारियों की समीक्षा की गई। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती छह फरवरी को काशी आएंगे, जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 26 फरवरी के बाद काशी पहुंचेंगे। इस दौरान वे धर्म चर्चा और धार्मिक आयोजनों का नेतृत्व करेंगे। शंकराचार्य विधुशेखर भारती नौ फरवरी को काशी से शृंगेरी लौटेंगे। काशी में होने वाली विद्वत सभा में चारों वेदों और शास्त्रों पर मंथन किया जाएगा। इन आयोजनों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और धर्म की गूढ़ परंपराओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

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