माँ कूष्माण्डा श्रृंगार एवं संगीत महोत्सव: सुर, संगीत और नृत्य की त्रिवेणी से झंकृत हुआ मंदिर प्रांगण, डॉ. सोमा घोष ने बांधा शमां
वाराणसी। माँ कूष्माण्डा दुर्गा मंदिर का प्रांगण सोमवार की रात पद्मश्री सोमा घोष की मधुर आवाज और डॉ. विधि नागर के मनमोहक कथक नृत्य से संगीतमय हो उठा। सप्त दिवसीय श्रृंगार एवं संगीत महोत्सव के तीसरे दिन श्रोताओं ने देर रात तक सुरों, वादन और नृत्य की त्रिवेणी में डूबकर आनंद लिया। नवरत्नों से सजी माँ की दिव्य छवि के सम्मुख कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से माँ को श्रद्धा से नमन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका पद्मश्री डॉ. सोमा घोष ने राग दुर्गा के एक ताल में निबद्ध बड़े ख्याल "अम्बे दुर्गे" से की। इसके बाद उन्होंने "देवी भजो दुर्गा भवानी" प्रस्तुत किया। राग देश में ठुमरी "मेरे राम उतारेंगे पार, नदिया धीरे बहो" ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में उन्होंने "काली कल्याणी मोरी दुर्गा भवानी" और "जय जग जननी भवानी माँ" भजनों के माध्यम से माँ को स्वरांजलि अर्पित की। उनके साथ तबले पर पंडित ललित कुमार, हारमोनियम पर पंकज मिश्रा, सिंथेसाइज़र पर संतोष मौर्य, और एकॉर्डियन पर राजबन्धु खन्ना ने संगत किया।
दूसरी प्रस्तुति विख्यात कथक नृत्यांगना डॉ. विधि नागर की रही। उन्होंने दुर्गा माला की प्रस्तुति दी, जिसमें माँ दुर्गा, पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी, और काली के रूपों को बेहतरीन ढंग से दर्शाया। इसके बाद उन्होंने अमृत मिश्रा और शिखा रमेश के साथ तीन ताल में थाट, आमद, दुपल्ली, परन, टुकड़े, फरमाइशी लड़ी आदि प्रस्तुत किए। तीसरी प्रस्तुति में मेघ और तराना को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन उन्होंने दुर्गा स्तुति "नमो नमो दुर्गे महारानी" से किया।
मुंबई से आई ओडिसी नृत्यांगना सुश्री शुभदा वराडकर ने भी माँ की स्तुति करते हुए देवी स्तुति और ओडिसी पल्लवी प्रस्तुत किया। उन्होंने रामायण के सीता हरण के दृश्य को सजीव कर श्रोताओं को मोहित कर लिया।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति अदिति चटर्जी के कथक की रही, जिसमें उन्होंने शिवशक्ति की आराधना पर नृत्य प्रस्तुत किया और बाद में पारंपरिक कथक तथा बनारसी दादरा की प्रस्तुति दी। इनके साथ तबले पर श्रीकांत मिश्रा, हारमोनियम पर आनंद किशोर मिश्रा, और सारंगी पर अंकित मिश्रा ने संगत किया। वृंदावन से आए आशीष कुमार सिंह ने "भवानी दयानि" पर आधारित प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया।
कलाकारों का स्वागत महंत राजनाथ दुबे और विकास दुबे ने किया, जबकि कार्यक्रम की व्यवस्था कौशलपति द्विवेदी, चंदन दुबे, और किशन दुबे ने संभाली। संचालन प्रीतेश आचार्य और ललिता शर्मा ने किया।
माँ कूष्माण्डा का रत्नजड़ित हार से विशेष श्रृंगार
श्रृंगार महोत्सव के तीसरे दिन माँ कूष्माण्डा का गुलाब के फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया। शाम 4 बजे माँ को पंचामृत स्नान के बाद लाल चुनरी और दुपट्टे से सजाया गया। इसके बाद लक्ष्मी हार और रामनामी हार पहनाया गया। माँ की झांकी को रत्नजड़ित आभूषण से सुसज्जित हार के साथ सजाया गया। भक्तों ने इस अलौकिक छवि को निहारते हुए खुद को धन्य महसूस किया। आरती और श्रृंगार पंडित संजय दुबे ने किया, जिसमें चंचल दुबे का सहयोग रहा।
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