कबाड़ से बन रहा आलीशान एसी कोच रेस्टोरेंट, लजीज व्यंजनों के साथ चलती ट्रेन का होगा अहसास

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वाराणसी। रेलवे अपने कबाड़ को भी नये ढंग से आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा है। रेलवे के पुराने हो चुके कोच अब आलीशान रेस्‍टोरेंट की शक्ल में नजर आएंगे। इस कोच को बनाने की तैयारी अंतिम चरण में है। एतिहासिक नगरी के वाराणसी जंक्शन यानी कैंट रेलवे स्टेशन पर इस रेस्टोरेंटवाला कोच के फर्नीचर, लाईटिंग आदि का कार्य अंतिम चरण में है। जल्द ही काशी और दूर दराज से आनेवाले यात्री अब इस रेस्टोरेंट में बैठकर वेज और नानवेज खाने का लुत्फ उठा सकेंगे। इसमें बैठकर आपको ट्रेनों के एसी कोच में बैठकर भोजन करने का अहसास होगा। इसके साथ ही इसमें बैठे लोगों को चलती ट्रेन में बैठकर भोजन करने का अहसास भी होगा। कैंट स्टेशन पर खुलनेवाला यह कोच रेस्टोरेंट पूर्वांचल के लिए नया होगा लेकिन इससे पहले करीब सात रेलवे स्टेशनों पर ऐसा रेस्टोरेंट खोला जा चुका है। 

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रेलवे की इस सोच के साथ ही लोगों के लिए यह मनोरंजन के साथ ही कमाई का जर‍यि भी बनेंगे। यह कोच रेस्टोरेंट को रेलवे स्टेशन परिसर में बनाया गया है। यहां लोग आराम से बैठकर लजीज व्‍यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं। रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में डीलक्स प्रतीक्षालय के पास चहारदीवारी से सटाकर कोच रेस्टोरेंट बनाया गया है। नीचे रेलवे ट्रैक और ऊपर रेलवे कोच है। बाहर से देखने में ट्रेन कोच, लेकिन अंदर प्रवेश करते ही आध्यात्मिक नगरी काशी की झलक देखने को मिलेगी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा घाट, सारनाथ, रामनगर किला सहित अन्य एतिहासिक धरोहरों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लोकार्पण की तैयारी है। शहरवासी इस कोच में बैठकर बनारसी समेत अन्य प्रांतों के व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। कचौड़ी, जलेबी भी मिलेगी। 

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इस कोच रेस्टोरेंट में एक साथ 40 से 50 लोग बैठकर व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। हर टेबल के पास एक खिड़की है। प्री रिकार्डेड गीत भी बजाए जाएंगे ताकि आप सफर में होने का एहसास कर सकेंगे। संस्कृति व संगीत में भी बनारसीपन की झलक मिलेगी। एलईडी स्क्रीन पर गंगा घाटों और यहां के प्रमुख स्थलों को दिखाया जाएगा। कोच की साज सज्जा और अन्य तैयारियों की जिम्मेदारी एक कंपनी को सौंपी गई है। कोच में गंगा घाट, एतिहासिक धरोहरों और महापुरूषों के चित्र भी होंगे। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेस्टोरेंट 24 घंटे खुला रहेगा। उन्होंने बताया कि कोच 31 मार्च तक बनकर तैयार करने के लिए तिथि निर्धारित की गई थी। लेकिन अब यह कार्य बारिश से पहले पूरा होगा। एक कर्मचारी ने बताया कि करीब सवा करोड़ की लागत से कोच बनाए जा रहे हैं। कर्मचारी कुलदीप ने बताया कि इससे पहले भोपाल, जबलपुर, जबलपुर, इटारसी, अमरावती, अकोढ़ा व नागपुर में इस तरह के कोच बनाए जा चुके हैं। इस काम में महाराष्ट्र से आए करीब 25 से 30 श्रमिक लगे हुए हैं। सभी रहनेवाले तो यूपी और बिहार के हैं। लेकिन महाराष्ट्र में रहकर इस तरह के कार्य कर रहे हैं।

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