Loksabha Election 2024: पहले रोड शो का नहीं था महत्व, जनसभाओं व नुक्कड़ सभाओं से वोटर्स साधते थे उम्मीदवार

Loksabha Election 2024 road show
WhatsApp Channel Join Now
वाराणसी। लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के मद्देनजर शहर में सियासी हलचल तेज है। वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए पक्ष-विपक्ष के नेता रोड शो कर चुके हैं। वैसे इस रोड शो का चलन बहुत पुराना नहीं है। पहले बहुत रोड शो नहीं होते थे। रोड शो से ज्यादा महत्व जनसभाओं को दिया जाता था। इन सभाओं में मतदाता अपने-अपने मनपसंद के नेता को सुनना ज्यादा पसंद करते थे। 

चुनाव विशेषज्ञों के मुताबिक, रोड शो (Road Show) की शुरुआत 2000 के दशक में हुई। जब सोनिया गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान गाड़ियों का प्रयोग करना शुरू किया। धीरे-धीरे चुनाव के दौरान और भी सारी पार्टियो के राजनेता रोड शो करने लगे। रोड शो में दिग्गज राजनेताओं के अलावा सेलिब्रेटी भी आने लगे। कई पार्टियों ने तो रोड शो की जिम्मेदारी सेलिब्रटीज को ही सौंप दी। जनता भी अपने बीच सेलिब्रेटी को पाकर मन ही मन खुश होती रही। लगभग हर पार्टी के लोग इसमें लगे रहे। 

PM Modi Road Show

नेताओं से ज्यादा सेलिब्रेटी को सुनना पसंद करते थे लोग

पहले जनसभाओं के साथ ही नुक्कड़ सभाएं भी खूब हुआ करती थी। हर चौराहे पर किसी न किसी नेता की नुक्कड़ सभा होती रहती थी। हर नुक्कड़ सभा में उस इलाके के लोग शामिल होकर राजनेताओं के भाषणों को ग्रहण करते थे। नुक्कड़ सभाओं में पहले नेताओं के अलावा सेलिब्रेटी भी आते थे। चुनाव में एक ऐसा भी दौर देखने को मिला जब फिल्मों में काम करने वाले एक्टर व एक्ट्रेस भी नुक्कड़ सभाओं मे शिरकत करने लगे। मतदाता भी अपने नेताओं को ज्यादा सुनने के बजाय सेलिब्रेटी को सुनना ज्यादा पसंद करते थे। 

o

पहले आसान होती थी जनसभा और नुक्कड़ सभा

पहले कोई भी चुनावी जनसभा या फिर नुक्कड़ सभा बहुत ही आसान तौर पर हो जाया करती थी। जनसभाओं व नुक्कड़ सभाओं के लिए किसी परमिशन की जरुरत नहीं पड़ती थी। लेकिन अब परिमशन लेना पड़ता है। पहले तो लोग कहीं भी नुक्कड़ सभा कर लेते थे। अस्सी के दशक के बाद चुनाव में जनसभाओं व नुक्कड़ सभाओं की भरमार हुआ करती थी। अब तो जनसभाओं और नुक्कड़ सभाओं की बजाय लोग सोशल मीडिया को अपने प्रचार का साधन बना रखा है। अब तो सोशल मीडिया पर ही चुनावी रणनीति चल रही है। लोग सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर व्यंग्य बाण भी चला रहे हैं। चुनाव में सोशल मीडिया की भी भूमिका चल रही है। 

PM Modi road show

बेनियाबाग की जनसभा बन गई थी ऐतिहासिक, रातभर इंदिरा का इंतज़ार करते रहे लोग

31 दिसम्बर 1979 की बेनियाबाग की जनसभा ऐतिहासिक जनसभा के रूप में जानी जाती है। बताते हैं कि बेनियाबाग के विशाल मैदान में इंदिरा गांधी की जनसभा थी। पूरा बेनियाबाग इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को सुनने के लिए खचाखच भरा था। 31 दिसम्बर के दिन साल का आखिरी दिन ठंड बहुत ज्यादा थी। बेनियाबाग के मैदान में पूरी रात बैठ कर लोग इंदिरा गांधी के आने की प्रतीक्षा करते रहे। लेकिन इंदिरा गांधी नहीं आयीं। इस पर उस समय चुनाव लड़ रहे पं० कमलापति त्रिपाठी (Pt. Kamlapati Tripathi) ने ठंड को देखते हुए बेनियाबाग में बैठे लोगों से बल्लियों को तोड़ कर उसे तापने को कहा। आखिरकार लोगों ने बल्लियों को निकाल कर उसे आग के हवाले कर दिया और खुद को ठंड से बचाया। इंदिरा गांधी को सुनने के लिए जनता पूरी रात उसी करह बैठी रह गई। आखिरकार 14 घंटे बाद बेनियाबाग मैदान में इंदिरा गांधी पहुंची और विलंब से आने के लिए जनता से माफी मांगते हुए जनसभा को संबोधित किया। 

Indira Gandhi in Varanasi

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (MGKVP) के राजनीति विभाग में रहे पूर्व प्रो० सतीश कुमार राय का कहना है कि उस समय बेनियाबाग के मैदान में भीषण ठंड में बैठ कर जनता इंदिरा गांधी का इंतजार करती रही। इंदिरा गांधी भी जनसभा में स्नान किये बिना ही पहुंची थीं। बाद में वह औरंगाबाद हाउस पं० कमलापति त्रिपाठी (Pt. Kamlapati Tripathi) के घर गईं जहां पर स्नान करने के बाद भोजन किया। उस समय उन दिनों प्रसिद्ध शायर व कवि बेधड़क बनारसी ने इंदिरा गांधी पर कविता की चंद पंक्तियां लिख दी- ‘आपके इंतजार में हम एक साल तक बैठे रहे’। क्योंकि इंदिरा गांधी को 31 दिसम्बर 1979 को आना था लेकिन वह रात भर नहीं आयी। दूसरे दिन वह 14 घंटे विलंब से पहुंची थी। इसके बाद ही सन व तारीख बदल कर एक जनवरी 1980 हो गई थी।

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story