उत्तर प्रदेश में विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025: वैज्ञानिकों के सहयोग से 44 हजार से अधिक किसानों को मार्गदर्शन

वाराणसी। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के किसान हितैषी कार्यक्रम "विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025" के तहत भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी द्वारा संचालित अभियान ने उत्तर प्रदेश के छह जिलों में उल्लेखनीय सफलता दर्ज की है। 29 मई से 8 जून तक चले इस अभियान में IIVR के 50 से अधिक वैज्ञानिकों की 18 विशेषज्ञ टीमों ने राज्य सरकार के कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मिलकर वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, संत रविदास नगर और कुशीनगर के 44,000 से अधिक किसानों से सीधा संवाद किया। इस दौरान किसानों का मार्गदर्शन किया गया।
प्रतिदिन औसतन 4,400 किसानों तक पहुंच बनाकर यह अभियान कृषि विस्तार की दिशा में एक प्रभावशाली मॉडल के रूप में उभरा है। संवाद कार्यक्रमों की विशेषता रही कि इसमें 36 फीसदी महिला किसानों की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई, जो ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। इस दौरान 15 से अधिक ब्लॉकों के 65 गांवों में प्रतिदिन 54 किसान संवाद सत्रों के माध्यम से किसानों को धान की सीधी बुआई (DSR), उच्च उत्पादक किस्मों का चयन, एकीकृत कीट प्रबंधन, प्राकृतिक खेती, संरक्षित खेती, ड्रोन आधारित कृषि, नैनो उर्वरकों के प्रयोग, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं किचन गार्डनिंग पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अभियान ने राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप रासायनिक कृषि पर निर्भरता कम करने और जैविक कीट नियंत्रण को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
अभियान के दौरान सामने आई प्रमुख समस्याओं में नीलगाय और अन्य वन्यजीवों से फसल सुरक्षा, जल संकट, कीट प्रकोप (जैसे सफेद मक्खी, जैसिड), बाजार संपर्क की कमी, गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर अनुपलब्धता और योजनाओं की जानकारी का अभाव शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने हेतु अल्पकालिक योजनाओं में फेरोमोन ट्रैप, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई, जैविक कीट नियंत्रण और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के गठन को प्राथमिकता दी गई है। मध्यकालिक योजनाओं में सभी छह जिलों में क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र, मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला और 1,000 से अधिक किसानों को कृषि उद्यमी बनाना शामिल है।
IIVR की दीर्घकालिक योजना में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना, 10,000 ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर, और कार्बन-तटस्थ कृषि की दिशा में नवाचार शामिल हैं। यह अभियान टिकाऊ कृषि, तकनीक हस्तांतरण और किसान आय वृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम है।