BHU में कौस्तुभ जयंती समारोह : कलाकारों ने अनूठी प्रस्तुतियों से मोहा मन, पंडित राजन मिश्रा के जीवन पर आधारित जीवनवृत्त की प्रस्तुति

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वाराणसी। पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में आयोजित कौस्तुभ जयंती समारोह के तीसरे दिन की शुरुआत वाद्य विभाग अध्यक्ष प्रो. राजेश शाह, नृत्य विभाग अध्यक्ष डॉ. विधि नागर, डॉ. के. ए. चंचल, डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय और कार्यक्रम संयोजक प्रो. प्रवीण उद्धव द्वारा त्रिमूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। यह विशेष दिवस प्रख्यात कलाकार पद्मभूषण पंडित राजन मिश्रा को समर्पित रहा, जिनके जीवन पर आधारित एक वृत्तचित्र भी प्रस्तुत किया गया। अपर्णा और दीपिका ने इस वृत्तचित्र को बड़े प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

संगीत और नृत्य की अनूठी प्रस्तुतियां
कार्यक्रम का शुभारंभ सुश्री निवेदिता श्याम, अलका कुमारी और आराधना विश्वकर्मा द्वारा "श्री रामचंद्र कृपालु भज मन" भजन से हुआ, जिसमें तबला संगति श्री रजनीश तिवारी ने दी। इसके पश्चात विभिन्न प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रो. राजेश शाह के निर्देशन में प्रस्तुत वाद्य वृंद संगीतमय आयोजन में भद्रप्रिया (बांसुरी), मुहम्मद शरीफ रोनी (सरोद) और बुधादित्य (सितार) ने राग वृंदावनी सारंग की सुंदर प्रस्तुति दी। तबला संगति अशेष नारायण मिश्रा ने दी।

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डॉ. आशीष मिश्रा ने राग पाटदीप में "इतनी अरज मोरी मानो दुर्गे भवानी मोरी मां" और "आओ मोहन श्याम आज" की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। इसके पश्चात उन्होंने बनारसी होली, "देखो लाला मोरी आंखन खटके" (राग काफी), चैती "तोरे लट चुवेला गुललवा" और मिश्र पीलू में दादरा "जुलम भयो ननदी सैंया नहीं आए" गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने समापन "काशी के बसैया, तुम काशी के खेवईया नाथ" भजन से किया। तबला संगति देवनारायण मिश्रा, हारमोनियम पर पंकज मिश्रा, सारंगी पर अनीश मिश्रा, तथा तानपुरा संगति आराधना विश्वकर्मा और कृपासिंधु ने दी।

पंडित सुखदेव मिश्र एवं पंडित अंशुमान महाराज ने राग चारुकेशी में मध्यलय रूपक ताल की बंदिश और द्रुत तीन ताल में प्रस्तुति दी। इसके अंत में "रंगी सारी गुलाबी चुनरिया" की मोहक प्रस्तुति हुई। तबला संगति डॉ. चंदन विश्वकर्मा और विभाष महाराज ने दी। गायन में डॉ. श्यामा कुमारी ने राग मुलतानी में "सुंदर सूरजनवा साईं रे" (तीनताल - मध्यलय) और "नैनन में आन बान" (एकताल) गाया। समापन दादरा "लागी बयरिया मैं सो गई हूँ ननदी सैंया दुवार से पीर गए" से हुआ। संवादनी पर डॉ. इंद्रदेव चौधरी और तबले पर श्री पंकज राय ने संगति दी। सितार वादन में पंडित नरेंद्र मिश्र ने राग हेमंत में आलाप, निलंबित और द्रुत गत त्रिताल में प्रस्तुति दी। उनका समापन झाला और धुन से हुआ। तबला संगति पंडित कुबेर नाथ मिश्र ने दी।

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डॉ. खिलेश्वरी पटेल ने अपनी प्रथम प्रस्तुति में शिवाष्टकम् पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें शिवलिंगोद्भव, गंगाधारण, कामदेव दहन, शिव विवाह एवं मार्कंडेय मोक्षम की झलकियां थीं। दूसरी प्रस्तुति देवी स्तुति "कीर्तनम्" पर आधारित रही, जिसमें देवी के सौंदर्य, लावण्य और उग्र रूप का सुंदर चित्रण किया गया। कार्यक्रम का संयोजन प्रो. प्रवीण उद्धव और डॉ. राम शंकर ने किया, जबकि संचालन अपर्णा पांडेय, कृष्ण कुमार तिवारी और दीपिका पटेल ने किया।

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