काशी के योग साधक पद्मश्री बाबा शिवानंद पंचतत्व में विलीन, पांच स्थानों पर बनेगी समाधि

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वाराणसी। योग, तप और साधना के प्रतीक पद्मश्री बाबा शिवानंद का अंतिम संस्कार सोमवार को गोधूलि वेला में हरिश्चंद्र घाट पर संपन्न हुआ। 129 वर्ष के सुदीर्घ जीवन के उपरांत शनिवार रात बाबा ने बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद भू-समाधि या शवदाह को लेकर उत्पन्न मतभेद भी अंतिम संस्कार के साथ समाप्त हो गए।

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सोमवार शाम 5:55 बजे हरिश्चंद्र घाट पर बाबा की चिता को अग्नि दी गई। यह कार्य उनके पांच प्रमुख शिष्यों—सेविका मां मुनी, डॉ. शर्मिला सिन्हा (लंदन), पुरुषोत्तम, सुशांतो और हीरामोन ने एक अन्य शिष्य संजय सर्वजन के साथ किया। इससे पूर्व, कबीरनगर के सामुदायिक भवन से लगभग साढ़े चार बजे अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए करीब दो सौ अनुयायी शामिल हुए। पुलिस अधिकारी, वरिष्ठ शिक्षक, जनप्रतिनिधि और बाबा से जुड़े नजदीकी लोग भी इस यात्रा का हिस्सा बने।

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बाबा शिवानंद की स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु उनके पांच दीक्षित शिष्यों ने भारत के विभिन्न स्थानों पर पांच समाधियों के निर्माण का संकल्प लिया है। यह संकल्प गोवा स्थित आवाहन अखाड़ा के महामंडलेश्वर डेविड के सान्निध्य में लिया गया, जिन्होंने बाबा के पार्थिव शरीर के समक्ष मंत्रोच्चार के बीच शिष्यों को पुष्प थमाकर संकल्पित किया। चिता के शांत होने के 24 घंटे बाद, ये शिष्य अस्थियों का संग्रह करेंगे, जिससे पांच कलशों में विभाजित कर पांच अलग-अलग स्थानों पर समाधियों की स्थापना की जाएगी। समाधि स्थलों की घोषणा शीघ्र की जाएगी।

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इस दौरान शिष्यों ने यह भी संकल्प लिया कि वे अस्थि-संग्रह की अवधि में केवल जल ग्रहण करेंगे और किसी प्रकार के अन्न या पेय पदार्थ से परहेज करेंगे। बाबा शिवानंद की यह अंतिम यात्रा उनकी आध्यात्मिक साधना और तपस्वी जीवन की अमिट छवि छोड़ गई।

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