काशी बनेगी हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के पर्यटन सर्किट का केंद्र, भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली का होगा विकास 

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वाराणसी। काशी को हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास तेज हो गए हैं। काशी विश्वनाथ और सारनाथ के साथ अब जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली चंद्रावती (चंद्रपुरी) को पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस परियोजना पर 17.07 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, और इसका निर्माण कार्य मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

वाराणसी से 25 किमी दूर, गाजीपुर एनएच 31 के दाहिने गंगा तट पर स्थित चंद्रावती घाट जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां भगवान चंद्रप्रभु के जन्मस्थान पर श्वेतांबर और दिगंबर मंदिर मौजूद हैं, जहां देश-विदेश से जैन तीर्थयात्री आते हैं। जैन परिपथ के निर्माण से चंद्रावती घाट, सारनाथ बौद्ध परिपथ और पास के उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम और मार्कंडेय महादेव मंदिर को जोड़कर एक समग्र पर्यटन सर्किट बनाया जा रहा है।

चंद्रावती घाट का विकास
 

चंद्रावती घाट पर 200 मीटर लंबा घाट बनाया जा रहा है, जिसमें तीन प्लेटफॉर्म और सीढ़ियों का निर्माण शामिल है। इसके लिए गाबियन और रेटेशन वॉल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह काशी के पारंपरिक घाटों जैसा दिखे। पर्यटन सुविधाओं में शौचालय ब्लॉक, विश्रामगृह, सोलर लाइट, पोर्टेबल चेंजिंग रूम, पार्किंग, हेरिटेज लाइट और जालीनुमा रेलिंग शामिल हैं।

पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा


इस परियोजना के पूरा होने के बाद जलमार्ग से भी पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकेंगे। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आर.के. रावत ने बताया कि चंद्रावती जैन तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। परियोजना का कार्य मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा, जिससे यह स्थान हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।

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