काशी तमिल संगमम 4.0 : हनुमान घाट पर तमिल प्रतिनिधियों ने किया गंगा स्नान, सुब्रमण्यम भारती के घर पहुँचकर जाना विरासत का इतिहास, कांची मठ में भी किया दर्शन
वाराणसी। काशी तमिल संगमम–4.0 के अंतर्गत तमिलनाडु से आए कृषि एवं संबद्ध समूह के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को काशी के आध्यात्मिक केंद्र हनुमान घाट पर पहुंचकर गंगा स्नान किया। गंगा की पवित्र धारा में आस्था के साथ डुबकी लगाकर प्रतिनिधियों ने माँ गंगा की पूजा-अर्चना की और सुख, समृद्धि एवं शांति का आशीर्वाद मांगा।

घाटों का इतिहास जान हुए अभिभूत
हनुमान घाट पर मौजूद आचार्यों ने तमिल डेलिगेट्स को काशी के घाटों के इतिहास, उनकी दिव्यता और सांस्कृतिक महत्व के बारे में विस्तार से बताया। गंगा स्नान के बाद प्रतिनिधि प्राचीन मंदिरों में पहुंचे, जहाँ उन्होंने दर्शन-पूजन किया और काशी के धार्मिक स्वरूप एवं आध्यात्मिक धरोहर को करीब से महसूस किया।
सुब्रमण्यम भारती के घर का भ्रमण — भावनात्मक जुड़ाव का क्षण
इसके उपरांत समूह ने हनुमान घाट स्थित महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती के घर पहुंचकर उनकी विरासत को नमन किया।
प्रतिनिधियों ने भारती के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उनकी स्मृतियों, साहित्य, जीवन संघर्ष और काशी से उनके गहरे संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रतिनिधियों ने घर के समीप स्थित पुस्तकालय का भी भ्रमण किया और वहाँ संरक्षित सामग्री और इतिहास को बड़ी उत्सुकता से जाना।

कांची मठ में दर्शन, दक्षिण भारतीय परंपरा पर चर्चा
भारती के घर के भ्रमण के बाद प्रतिनिधि दल कांची मठ पहुँचा, जहाँ उन्होंने मठ के इतिहास, आध्यात्मिक परंपराओं और काशी में दक्षिण भारतीय संस्कृति की निरंतरता के बारे में जाना। शिक्षक दल और विद्वान इस बात से उत्साहित दिखे कि काशी में दक्षिण भारत की धार्मिक संरचना, वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत इतनी गहराई से आज भी जीवित है।

काशी–तमिल संबंध सदियों पुराने: पं. वेंकट रमण घनपाठी
आचार्य पं. वेंकट रमण घनपाठी ने बताया कि काशी और तमिलनाडु के बीच संबंध किसी आयोजन से नहीं, बल्कि सदियों से चले आ रहे सांस्कृतिक आदान–प्रदान से बने हैं। उन्होंने कहा “काशी के हनुमान घाट, केदार घाट और हरिश्चंद्र घाट पर एक मिनी तमिलनाडु बसता है। यहाँ दक्षिण भारत के हजारों परिवार रहते हैं, और केवल हनुमान घाट पर ही 150 से अधिक तमिल परिवार निवास करते हैं। यहाँ की गलियों में हर दिन काशी–तमिल संगमम जैसा अनुभव मिलता है।”
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को नई ऊँचाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर आयोजित यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है।
प्रतिभागियों ने कहा कि “मोदीजी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना इस आयोजन में पूर्ण रूप से जीवंत दिखाई देती है।”
2 दिसंबर से शुरू हुआ यह दो-सप्ताह का संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक संबंधों को नई मजबूती प्रदान कर रहा है।

इस आयोजन में तमिलनाडु से आए 1,400 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें छात्र, शिक्षक, लेखक, मीडिया प्रतिनिधि, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के विशेषज्ञ,
पेशेवर एवं शिल्पकार, महिलाएँ तथा आध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं।
काशी तमिल संगमम–4.0 उत्तर और दक्षिण भारत के बीच हजारों वर्षों से चले आ रहे सांस्कृतिक बंधन को फिर से नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रहा है, और काशी के घाट इस संगम के जीवंत साक्षी बन रहे हैं।

