काशी तमिल संगमम 4.0 : वाराणसी पहुंचा दूसरा दल, डमरू की गूंज और पुष्पवर्षा से हुआ भव्य स्वागत

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वाराणसी। काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत दक्षिण भारत से आने वाले मेहमानों का आगमन लगातार जारी है। बुधवार की देर रात तमिलनाडु से शिक्षकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। दल के आगमन के साथ ही पूरे स्टेशन परिसर में उत्साह और आध्यात्मिक माहौल छा गया। पारंपरिक डमरू वादन, पुष्पवर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा ‘वणक्कम काशी’ के गगनभेदी नारों के साथ अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया।

मंत्री और मेयर ने स्वयं किया स्वागत
स्वागत समारोह को विशेष बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ तथा वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी स्वयं स्टेशन पर मौजूद रहे। दोनों अतिथियों ने तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु का संबंध हजारों वर्षों पुराना है, और यह संगमम उन अदृश्य सांस्कृतिक डोरियों को फिर से मजबूत करने का प्रयास है। उन्होंने आगंतुकों को आश्वस्त किया कि काशी उनकी आध्यात्मिक यात्रा को यादगार बनाने के लिए तत्पर है।

तमिलनाडु के प्रतिनिधियों में दिखा उत्साह
स्टेशन पहुंचते ही मिले इस पारंपरिक और आध्यात्मिक स्वागत से तमिल दल के सदस्यों में अपार उत्साह दिखाई दिया। कई सदस्यों ने कहा कि काशी की गर्मजोशी और भक्ति उत्सव का ऐसा अनोखा अनुभव पहले कभी महसूस नहीं किया। डमरू वादन की अनुगूंज से स्टेशन का वातावरण शिवमय हो उठा। कई अतिथियों ने बताया कि उन्हें यहां आते ही एक अपनत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ, जो काशी और तमिल संस्कृति की गहरी एकरूपता को दर्शाता है।

बाबा विश्वनाथ का करेंगे दर्शन
आयोजन समिति के अनुसार, तमिलनाडु से आए ये प्रतिनिधि आज श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद वे दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, गंगा आरती स्थल सहित काशी के प्रमुख सांस्कृतिक, पौराणिक और शैक्षिक स्थलों का भ्रमण करेंगे। समूह के लिए विशेष बसें और मार्गदर्शक नियुक्त किए गए हैं, ताकि वे काशी की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर को गहराई से समझ सकें।

काशी-तमिल सांस्कृतिक रिश्तों को प्रगाढ़ करने की पहल
‘काशी तमिल संगमम’ का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत की प्राचीन सांस्कृतिक एकता को प्रगाढ़ करना है। काशी और तमिल सभ्यता के बीच आध्यात्मिक, धार्मिक, साहित्यिक और शैक्षिक संबंध सदियों पुराने हैं। इस कार्यक्रम का चौथा संस्करण इन संबंधों को और मजबूत करने का अवसर लेकर आया है। इसमें शिक्षा, कला, साहित्य, उद्योग और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। काशी तमिल संगमम 4.0 न केवल दो महान सभ्यताओं का उत्सव है, बल्कि भारत की ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा को जीवंत करने वाला पुल भी है, जो लोगों को दिलों से जोड़ता है।

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