काशी तमिल संगमम 3.0 : स्टार्ट-अप और रिसर्च ग्रुप ने किया गंगा स्नान, काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा से हुए परिचित

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वाराणसी। काशी तमिल संगमम 3.0 के तहत स्टार्ट-अप, इनोवेशन और रिसर्च ग्रुप ने हनुमान घाट पर गंगा स्नान कर मां गंगा की पूजा अर्चना की। इस दौरान काशी के विभिन्न घाटों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझा। ग्रुप ने सुब्रमण्यम भारती का घर देखा। वहां परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। वहीं पुस्तकालय जाकर उनके साहित्य से भी परिचित हुए। 

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गंगा स्नान के उपरांत सभी प्रतिभागियों ने घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। उन्हें मंदिरों की दिव्यता, भव्यता और ऐतिहासिक विरासत के बारे में बताया गया। इसके बाद तमिल डेलिगेट्स ने हनुमान घाट स्थित महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती के घर का भ्रमण किया। वहां उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर उनके जीवन और कृतित्व के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रतिभागियों ने उनके घर के समीप स्थित पुस्तकालय का भी दौरा किया और वहां उपलब्ध साहित्य को देखा।

इसके बाद दल कांची मठ पहुंचा, जहां उन्होंने मठ के ऐतिहासिक महत्व को समझा। दक्षिण भारतीय मंदिरों और परंपराओं को देखकर दल के सदस्य काफी उत्साहित नजर आए। पंडित वेंकट रमण घनपाठी ने बताया कि काशी और तमिलनाडु का गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ता रहा है। यह समागम सिर्फ कुछ दिनों के लिए नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। 

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उन्होंने बताया कि हनुमान घाट, केदारघाट और हरिश्चंद्र घाट को "मिनी तमिलनाडु" कहा जा सकता है, क्योंकि यहां दक्षिण भारत के हजारों परिवार बसे हुए हैं। अकेले हनुमान घाट पर ही 150 से अधिक तमिल परिवार रहते हैं, जिनकी गलियों में हर दिन एक अलौकिक काशी तमिल संगमम होता है। 

ग्रुप में शामिल रमन स्वामी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर पहले की तुलना में काफी बदल चुका है। उन्होंने प्रधानमंत्री की पहल की सराहना करते हुए कहा कि अब काशी, प्रयागराज और अयोध्या का भ्रमण करना सुविधाजनक और सुखद हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि वे 2012 में काशी आए थे, लेकिन अब की काशी अधिक स्वच्छ, सुंदर और सुव्यवस्थित हो गई है। काशी विश्वनाथ धाम तक पहुंचने का मार्ग भी सरल और भव्य हो गया है, जिससे तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा हो रही है।

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