काशी तो संवरने वाली है, मुझे तो यहां के जन जन को, हर मन को संवारना है : मोदी
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार की सुबह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन पहुंचे। उन्होंने यहां संसद संस्कृत प्रतियोगिता के टापर्स को सर्टिफिकेट दिया। वहीं प्रतिभागियों के संवाद किया। पीएम ने भोजपुरी अंदाज में भाषण की शुरूआत की। कहा, आप सब परिवार के लोगन के हमार प्रणाम। महामना के इस प्रांगण में सभी विद्वानों खासकर युवा विद्वानों के बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा है। काशी समय से भी प्राचीन कही जाती है। इसकी पहचान को हमारी आधुनिक युवा पीढ़ी इतनी जिम्मेदारी से सशक्त कर रही है। ये दृश्य हृदय में संतोष देता है, गौरव की अनुभूति कराता है और ये विश्वास दिलाता हे कि अमृत काल में आप सब देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
पीएम ने कहा कि काशी सर्व विद्या की राजधानी है। आज इसका सामर्थ्य ओर स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे देश के लिए गौरव की बात है। अभी काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, सांसद ज्ञान प्रतियोगिता और फोटोगाफी के विजेताओं को पुरस्कार देने का अवसर मिला। सभी विजेताओं को उनके परिश्रम और प्रतिभा के लिए बधाई देता हूं। जो सफलता से कुछ कदम दूर रहे गये उनका भी अभिनंदन। आप काशी की ज्ञान परंपरा का हिस्सा बने। उसकी प्रतियोगिता में शामिल हुए। ये अपने आप में बहुत बड़ा गौरव है। आप में से कोई साथी हारा नहीं है, आप इस भागीदारी के जरिए काफी कुछ नया सीखकर कई कदम आगे आये हैं। इन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाला बधाई का पात्र है। इस आयोजन के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, काशी विद्वत परिषद और सभी विद्वानों का आदरपूर्वक धन्यवाद करता हूं।
काशी के सांसद के रूप में मेरे विजन को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पिछले 10 साल में काशी में अभूतपूर्व विकास हुआ है। आज यहां इसपर दो बुकलेट भी लांच की गई है। इसमें यहां हुए विकास के हर पड़ाव और संस्कृति का वर्णन किया गया है। इसके अलावा जितनी भी प्रतियोगिता काशी में आयोजित की गई है। उनपर भी छोटी छोटी पुस्तकें लांच की गई है। आप जानते हैं कि हम सब निमित्त मात्र हैं। यहां करने वाले केवल महादेव और उनके गण है। जहां महादेव क कृपा हो जाला उ धरती अइसे ही समृद्ध हो जाले। इस समय महादेव खूब प्रसन्न हैं। इसलिए महादेव के आशीष के साथ 10 साल में काशी में चारों ओर विकास का डमरू बजा है। आज एक बार फिर काशी क हमरे परिवार के लोगन के लिए करोड़ों रुपया क योजना क लोकार्पण हो रहल ह। शिवरात्रि और रंगभरी एकादशी से पहले काशी में आज विकास क उत्सव मनाए जाते हैं।
अभी मंच पर आने से पहले काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता की गैलरी देखा। 10 साल में विकास की गंगा ने काशी को सींचा है। काशी कितनी तेजी से बदली है उसे आप सबने साक्षात देखा है। बाबा जौन चाह जालन ओके के रोक पावेला। यही लिए बनारस में कुछ उत्सव होला लोग हाथ उठा के बोलेलन नम: पार्वती पते हर हर महादेव। काशी के केवल आस्था का तीर्थ नहीं, ये भारत की शास्वत चेतना का जागृत केंद्र है। एक समय था जब भारत की समृद्धि की गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी। इसके पीछ़े भारत की आर्थिक ताकत ही नहीं हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक ताकत भी थी। काशी जैसी तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे मंदिर ही राष्ट्र की पगति की यज्ञशाला हुआ करती थी। यहां साधना भी होती थी और साश्त्रार्थ होते थे। संवाद और शोध होते हैं। संस्कृत के स्रोत भी थे, साहित और संगीत की सरिताएं भी थीं।
भारत ने जितने भी नये विचार और विज्ञन दिये उनका संबंध किसी ना किसी सांस्कृतिक केंद्र से थे। काशी शिव की नगरी है और बुद्ध के उपदेशों की भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की भूमि है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला हे। दुनिया के कोने कोने से लोग ज्ञान शोध और शांति की तलाश में काशी आते हैं। हर प्रांत,बोली, भाषा और रिवाज के लोग काशी आते रहे हैं। जाहां इतनी विविधिता होती है वहीं नये विचार का जन्म होता है। जहां नये विचार पनपते हैं वपहहीं सेस प्रगति की संभावना पैदा होती है।
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के वक्त मैंने कहा था कि ये धाम भारत को निर्णायक दिशा देगा। भाारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर लेकर जाएगा। आज ये दिख रहा है। अपने भव्य रूप में विश्वनाथ धाम भारत को निर्णायक भविष्य की ओर ले जाने के लिए फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा है। इस परिसर में देशभर के विद्वानों की विद्वत संगोष्ठियां हो रही हैा मंदिर न्याय शासत्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है। इससे देशभर के विद्वानों में विचारेां का आदान प्रदान बढ़ रहा है, प्राचीन ज्ञान का संरक्षण और नये विचारों का
काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी इसी प्रयास का हिस्सा है। संस्ृत पढ़ने वाले हजारों युवाओं को कितब कपड़े और जरूरी सुविधाओं के साथ स्कॉलरीशिप दी जा रही है। शिक्षकों को भी सहायता दी जा रही है। काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करलु जैसे आयोजन से एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान का हिस्सा बना है।
काशी के विद्वानों और विद्वत परिषद् द्वारा आधुनिक विज्ञान के लिए नये शोध किये जा रहे हैं। जल्द ही मंदिर न्यास शहर के कई स्थानों पर नि:शुल्क भोजन की भी व्यवस्था करने जा रहा है। मंदिर ये सुनिश्िवत करेगगा कि मां अन्नपूर्णा की नगरी में कोई भूखा नहीं रहेगा। यानी आस्था का केंद्र किस तरह सामाजिक और राष्ट्रीय संकल्पों के लिए ऊर्जा का केंद्र बन सकता है। नई काशी नये भारत के लिए इसकी प्रेरणा बनकर उभरी है। यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वज वाहक बनेंगे। बाबा विश्वनाथ की ई धरती विश्व कल्याण के संकल्प क साक्षी भूमि बनी।
हमारे ज्ञान विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है संस्कृति उसका उर्वरक है। इसलिए हमारे यहां कहा गया है कि भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा। अर्थात भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत की बड़ी भूमिका है। एक समय हमारे देश में संस्कृत ही वैज्ञानिक शोध की भाषा होती थी और शास्त्रीय बोध की भाषा, सूर्यसिद्धांत, आर्यभट्टिय, चरक संहिता जैसे ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गये थे। साहित्य, संगीत और कलाओं की विधाएं भी संस्कृत से ही पैदा हुई हैं। इन्हीं विधाओं से भारत को पहचान मिली है। जिन वेदों का पाठ काशी में होता है वही वेद पाठ कांची में सुनाई देता है। ये वेद भारत का साश्वत स्वर है जिन्होंने हजारों वर्ष से भारत को राष्ट्र के रूप में एक बनाए रखा है। काशी को विरासत और विकास के मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। परंपराओं और आध्यात्म के ईर्द गिर्द किस प्रकार आधुनिकता का विकास होता है। आज ये पूरी दुनिया देख रही है। रामलला के अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद अयोध्या भी इसी प्रकार निखर रही है। देश में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को भी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। यूपी के कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ा जो रहा है। कितने ही काम आज देश में हो रहे हैं। पांच साल में देश इसी आत्मविश्वास के साथ विकास को नई रफ्तार देगा। सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा। ये मोदी की गारंटी है। आप भी जानते हैं कि मोदी की गांरंटी यानी गारंटी पूरा होने की गारंटी है।
मैं सांसद तो हर बार कुछ ना कुछ काम लेकर आता हूं। मैं चाहता हूं कि फोटो कंपटीशन के लिए वोटिंग हो जो टॉप के 10 सबसे अच्छे फोटो कंपटीशन हो। उसे पोस्टकार्ड के रूप में टूरिस्टों को बेचे। जगह जगह लोग बैठें और बेस्ट स्केचिंग को पोस्टकार्ड के रूप में टूरिस्टों को बेचें। करोडों की तादात में लोग आ रहे हैं, गाइड की बहुत जरूरत है। उत्तम से उत्तम गाइड का कंपटीशन होना चाहिए। प्रतिभा को विकसित होने के लिए अवसर देना चाहिए। कुछ लोग उसे संवारते हैं कुछ लोग उसे ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। काशी तो संवरने वाला है, मुझे यहां जन जन को, हर मन को संवारना है। एक सेवक और साथी बनके सवांरना है। उंगली पकड़कर चलते चलते लक्ष्य को पाना है।
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