कारगिल विजय दिवस : दुश्मनों की गोलियां भी नहीं डिगा सकीं देश भक्ति का जज्बा, आठ गोलियां लगने के बावजूद 21 हजार फीट की ऊंचाई पर फहराया तिरंगा
वाराणसी। आज कारगिल विजय दिवस है। आज ही के दिन भारतीय सेना ने युद्ध समाप्त होने की घोषणा की थी। 24 साल पहले 1999 में देश की सीमा में घुस आए पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए न जाने कितने वीर सपूतों ने अपनी जान गंवाई। बहादुरी की इस दास्तां में बनारस का नाम भी शिद्दत से जुड़ा है। वाराणसी के चौबेपुर के रहने वाले आलिम अली ने डंटकर दुश्मनों का सामना किया था। अपनी बहादुरी से उनके दांत खट्टे कर दिए। आठ गोलियां लगने के बावजूद मोर्चे पर डंटे रहे और 21 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर वापस लौटे।

चौबेपुर के सरसौल गांव निवासी आलिम अली आज भी बड़े गर्व के साथ कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों की शौर्यगाथा सुनाते हैं। वह 1990 में सेना में भर्ती हुए थे और 22 ग्रेनेडियर के नायक रहे। जुलाई 1992 से सितंबर 1995 तक कश्मीर में चल रहे 'ऑपरेशन रक्षक' में शामिल थे। पाकिस्तान जब कारगिल में घुसा, तब सात जून 1999 को उन्हें कारगिल में मोर्चे पर भेजा गया।

आलिम अली ने अपने 25 साथियों के साथ कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। उन्हें सीने, घुटने, कमर समेत शरीर के अन्य हिस्सों में पाकिस्तानी फौजियों की आठ गोलियां लगी थीं। इसके बावजूद 21 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जुबार हिल पर साथियों के साथ तिरंगा फहराया था।

