ज्ञानवापी में हिन्दुओं को पूजा का अधिकार दिलाने वाले जज बोले – जब तक न्यायिक सेवा में रहा, निष्पक्ष होकर फैसला दिया

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•    मेरी मंशा रहती थी कि जो भी जजमेंट लिखूं, वह पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी के साथ लिखूं। ज्ञानवापी में पूजा के अधिकार का फैसला साक्ष्यों के आधार पर दिया गया है। 

-    डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश, पूर्व जज, जिला न्यायालय, वाराणसी।

वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना का फैसला देने वाले जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश का गुरुवार को प्रबोधिनी फाउंडेशन ने सम्मान किया। वाराणसी के पूर्व जिला जज डॉ० अजय कृष्‍ण विश्वेश ने बीते 31 जनवरी को ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ करने की अनुमति दे दी थी। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद कार्यक्रम में डॉ० विश्वेश ने अपनी बातों को मीडिया के समक्ष रखा। कहा कि जिसके पक्ष में फैसला नहीं आता है, उनमें आक्रोश नजर आता है।

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जिला जज के रिटायर होने पर उनका सम्मान व ज्ञानवापी पर चर्चा-परिचर्चा करने के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पुस्तकालय सभागार में गुरूवार को सम्मान समारोह व संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी ‘काशी में ज्ञानवापी’ विषयक पर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व जिला जज डॉ० अजय कृष्‍ण विश्वेश शामिल हुए।

वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो० ए० के० त्यागी ने किया। इसके साथ ही संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में महर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र मौजूद रहें। इस दौरान सबसे माल्यार्पण कर पूर्व जिला जज का सम्मान किया गया फिर संगोष्ठी की शुरुआत हुई।

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निष्पक्ष होकर दिया ज्ञानवापी पर फैसला

इस अवसर पर पूर्व जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि जब तक मैं न्यायायिक सेवा में रहा। मैंने जो भी आदेश दिया, निष्पक्ष होकर दिया। मैं प्रयास करता था कि जो भी जजमेंट हो, वो न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से हो, उसमें कोई त्रुटी ना हो।

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जिसके पक्ष में फैसला नहीं आता, उनमें दिखता है आक्रोश: डॉ० विश्वेश

मसाजिद कमेटी द्वारा फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने को लेकर कहा कि हमने हमेशा यह देखा है कि जब भी किसी के पक्ष में फैसला आता है, तो वह खुश होता है। लेकिन जिसके खिलाफ फैसला आता है, तो उनमें आक्रोश नजर आता है। लेकिन सभी फैसले न्याय के उद्देश्यों को पूरा करते हुए दिए जाते हैं।

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कार्यकाल के अंतिम दिन यह फैसला देने पर उन्होंने कहा कि जब भी मेरे पास कोई एप्लीकेशन आता है, तब मैं सुनता हूं और अपने विवेक का प्रयोग करके न्याय के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए फैसला देता हूं।

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बता दें कि 31 जनवरी को व्यासजी के तहखाने में पूजा के फैसले को सुनाने के बाद वह रिटायर हो गए। वाराणसी जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश डॉ० अजय कृष्‍ण विश्वेश का यह आखिरी फैसला था। अपनी न्‍यायिक सेवा के आखिरी दिन यह फैसला देकर पूर्व जिला जज डॉ० अजय कृष्‍ण विश्वेश ने अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया।

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