Jagannath Rath Yatra : महाआरती के साथ काशी में शुरू हुआ प्रसिद्ध रथयात्रा मेला, जयकारे से गूंजा मेला परिसर
वाराणसी। लक्खा मेला में शुमार प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला मंगलवार से शुरू हुआ। सुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा की महाआरती की गई। इसके बाद दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया। 14 पहियों के रथ पर सवार भगवान् जगन्नाथ श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। साल 1802 में काशी में शुरू हुए इस मेले का यह 221 वां वर्ष है। पूरा मेला परिसर भगवान् जगन्नाथ के जयकारे से गूज रहा है।

भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होने के बाद पालकी में सवार होकर काशी भ्रमण पर निकलते हैं। उनका रथ रथयात्रा में रुकता है। यहां तीन दिवसीय रथयात्रा मेला लगता है। रथयात्रा मेला काशी के लक्खा मेले में शुमार है। मंगलवार की आधी रात परंपरागत तरीके से बेनी के बगीचे में भगवान जगन्नाथ, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा की मंगला आरती की गई। इसके बाद भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा की प्रतिमा को रथ पर विराजमान किया गया। यहां भी महाआरती के बाद रथयात्रा मेला शुरू हो गया।

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक शापुरी ने बताया कि जगन्नाथ पुरी को छोड़कर आए वहां के मुख्य पुजारी तेजोनिधि ब्रह्मचारी ने 1790 में काशी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। इसके 12 साल बाद रथ यात्रा मेले की शुरुआत कराई थी। 1802 में शुरू हुए रथयात्रा मेले का यह 221वां वर्ष है। इस मेले में पूर्वांचल सहित बिहार के श्रद्धालु आते हैं। हर दिन, हर समय यहां तीन दिनों तक लाखों श्रद्धालु की भीड़ होती है।

मंदिर के पुरोहित ने बताया कि भगवान ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान से पंद्रह दिन बीमार पड़ने के बाद अब स्वस्थ हो चुके हैं। इसके बाद पालकी पर सवार होकर काशी भ्रमण पर निकले हैं। उन्हें रथ पर सवार किया गया है। रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ के दर्शन के सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। बताया कि मेला तीन दिन चलेगा। चौथे दिन शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ अस्सी पर पहुंच जाएंगे।





