इस्राइल-ईरान संघर्ष का पूर्वांचल के कारोबार पर असर, सैकड़ों करोड़ का निर्यात प्रभावित
वाराणसी। रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों से उबर रहे पूर्वांचल के निर्यातक अब इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण नई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कालीन, बनारसी साड़ी समेत अन्य जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) उत्पादों के लगभग 500 करोड़ रुपये के ऑर्डर फंस गए हैं, जिससे यूरोपीय बाजारों में व्यापार लगभग ठप हो गया है।
इस स्थिति से सबसे बड़ा झटका जर्मनी में होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले "डोमोटैक्स" के रद्द होने से लगा है। यह मेला 12-15 जनवरी 2024 तक आयोजित होना था, जिसमें बनारस, मिर्जापुर और भदोही के निर्यातक पिछले 40 वर्षों से हिस्सा लेते आ रहे थे। इस मेले से पूर्वांचल के निर्यातकों को हर साल 1000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिलते थे। मेले के रद्द होने से निर्यातकों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
यूरोपीय देशों में अधिकांश माल समुद्री जहाजों के माध्यम से भेजा जाता है, जिसमें कालीन का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। निर्यातक ऑर्डर मिलने पर माल भेजते हैं और तीन से छह महीने बाद भुगतान प्राप्त करते हैं। कुछ मामलों में हिसाब-किताब साल भर तक अटका रहता है। आमतौर पर अक्टूबर से जनवरी का समय निर्यात के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस्राइल-ईरान तनाव के चलते कई ऑर्डर रद्द हो गए हैं। इससे माल मुंबई के बंदरगाह पर अटका हुआ है, और कुछ निर्माताओं का माल फैक्ट्री से उठाया ही नहीं गया, जिससे उनकी पूंजी फंस गई है।
निर्यातकों की मानें तो लाल सागर में एक जहाज पर हमले के बाद निर्यातकों में भय का माहौल है। सुरक्षा चिंताओं के चलते जहाजों के रूट बदलने से माल भाड़े में भी दोगुनी वृद्धि हो गई है। ज्यादातर माल लाल सागर के रास्ते यूरोप और अमेरिका भेजा जाता है, लेकिन अब निर्यातक इस रास्ते से माल भेजने से बच रहे हैं। कुछ जहाज पूर्वी अमेरिका जाने के लिए अफ्रीका महाद्वीप के लंबे रास्ते से जा रहे हैं, जिससे व्यापार में देरी और खर्च बढ़ गया है।
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