काशी के ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में से एक है ‘ईश्वरगंगी पोखरा’, कई सांस्कृतिक घटनाओं का रहा है साक्षी, जितिया पर्व पर उमड़ेगी आधी आबादी की भीड़
कैसे पड़ा नाम...
ईश्वरगंगी पोखरा का नामकरण इसके धार्मिक और पौराणिक संदर्भों से जुड़ा हुआ है। "ईश्वरगंगी" नाम में "ईश्वर" शब्द भगवान शिव का प्रतीक है, जो काशी के आराध्य देवता माने जाते हैं। "गंगी" शब्द का संबंध जल स्रोत से है, जो इसे धार्मिक और पवित्र जलाशय के रूप में दर्शाता है। यह तालाब प्राचीन काल में काशी के संतों और विद्वानों द्वारा ध्यान और पूजा के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
काशी विश्व की सबसे पुरानी धार्मिक नगरी के रूप में जानी जाती है और ईश्वरगंगी पोखरा भी इस धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। यह तालाब स्थानीय लोगों के लिए एक धार्मिक स्थान है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। प्राचीन समय में यह पोखरा धार्मिक समारोहों और त्योहारों के दौरान जल के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता था। इसके जल को पवित्र और शुद्ध माना जाता था, और यहां स्नान करने का धार्मिक महत्व था।
इतिहास और समाज
ईश्वरगंगी पोखरा के आसपास के क्षेत्र का सामाजिक इतिहास भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के निवासियों के लिए यह तालाब पानी का प्रमुख स्रोत हुआ करता था। साथ ही, यह क्षेत्र काशी के कई महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटनाओं का साक्षी रहा है।
वर्तमान में ईश्वरगंगी पोखरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बना हुआ है, लेकिन समय के साथ इसका स्वरूप कुछ बदल गया है। आधुनिक युग में शहरीकरण और जलप्रदूषण के चलते इसकी स्थिति में भी बदलाव आया है। सरकार और स्थानीय संगठनों द्वारा पोखरे के संरक्षण के लिए समय-समय पर प्रयास किए जाते हैं ताकि इसे फिर से उसी धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव का केंद्र बनाया जा सके। ईश्वरगंगी पोखरा काशी के इतिहास और धार्मिक धरोहरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह सदियों से लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है।
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