भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान वाराणसी में कॉमर्शियल सेवा के लिए रवाना, नमो घाट पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दिखाई हरी झंडी
वाराणसी। भारत ने हरित परिवहन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गुरुवार को देश का पहला पूरी तरह से स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान वाणिज्यिक सेवा के लिए लॉन्च कर दिया। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने नमो घाट पर हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना किया। यह जलयान हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक से संचालित देश का पहला यात्री कैटामरान है, जो शून्य उत्सर्जन, स्वच्छ ऊर्जा और अत्याधुनिक भारतीय तकनीक का बेहतरीन उदाहरण है।

यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'ग्रीन इंडिया' विजन के अनुरूप भारत को ग्रीन मरीन ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करती है। हाइड्रोजन ईंधन आधारित यह आधुनिक जलयान गंगा नदी पर नेट-जीरो जलमार्गों की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

कैसे काम करता है यह हाई-टेक जलयान?
देश में पहली बार हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक पर आधारित यह जलयान लो टेम्परेचर प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (PEM) फ्यूल सेल पर चलता है, जो हाइड्रोजन को बिजली में बदलता है, और उप-उत्पाद के रूप में सिर्फ पानी छोड़ता है। यह पूर्णतः प्रदूषण-मुक्त, शोररहित और पर्यावरण अनुकूल तकनीक है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया है और स्वामित्व भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के पास है।

जलयान की प्रमुख विशेषताएँ
- लंबाई: 24 मीटर
- क्षमता: वातानुकूलित केबिन में 50 यात्री
- गति: 6.5 से 9 समुद्री मील
- रनिंग क्षमता: एक बार हाइड्रोजन भरने पर 8 घंटे तक संचालित
- ऊर्जा प्रणाली: हाइड्रोजन फ्यूल सेल + बैटरी + सौर ऊर्जा (हाइब्रिड सिस्टम)
- सर्टिफिकेशन: इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) द्वारा प्रमाणित
यह शहरी जल परिवहन के लिए डिजाइन किया गया भविष्य की तकनीक को दर्शाने वाला जलयान है, जो पारंपरिक डीजल-चालित नौकाओं के मुकाबले कहीं अधिक शांत, कुशल और टिकाऊ है
नमो घाट से ललिता घाट तक शुभारंभ यात्रा
जलयान को नमो घाट से ललिता घाट तक 5 किलोमीटर की पहली वाणिज्यिक यात्रा पर रवाना किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री के साथ कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे, जिनमें यूपी सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्रा 'दयालु', विधायक: अवधेश सिंह, नीलकंठ तिवारी, डॉ. सुनील पटेल, अनिल राजभर, सौरभ श्रीवास्तव, त्रिभुवन राम, वाराणसी नगर निगम के महापौर अशोक कुमार तिवारी, पत्तन एवं जलमार्ग मंत्रालय के सचिव विजय कुमार, IWAI चेयरमैन सुनील पालीवाल, कई वरिष्ठ अधिकारी आदि शामिल रहे।

सोनोवाल ने कहा कि भारत स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर समुद्री भविष्य की ओर बढ़ रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत परिवहन क्षेत्र में हरित क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। यह हाइड्रोजन चालित जलयान मेक इन इंडिया को नई ऊंचाई पर ले जाता है और पवित्र गंगा की स्वच्छता अभियान को भी मजबूती देता है। उन्होंने कोचीन शिपयार्ड और IWAI की इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।

भारत के नेट-जीरो लक्ष्य की दिशा में मजबूत कदम
यह जलयान 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा, जल-परिवहन को प्रदूषणमुक्त बनाएगा, सड़क यातायात का दबाव कम करेगा और वाराणसी को दुनिया के शुरुआती शहरों में शामिल करेगा, जहाँ हाइड्रोजन-चालित यात्री परिवहन लागू हुआ है।
यह पहल Maritime India Vision 2030 और Maritime Amrit Kaal Vision 2047 के तहत हरित प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देती है।

यात्रियों को क्या लाभ?
- शोररहित और धुआँ-मुक्त यात्रा
- गंगा की स्वच्छता में योगदान
- तेज और सुरक्षित आवागमन
- पर्यटन में वृद्धि और रोजगार के नए अवसर
- समुद्री परिवहन के भविष्य का संकेत
हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाला यह जलयान भारत की समुद्री तकनीक में एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह न केवल देश की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि आने वाले वर्षों में ग्रीन ट्रांसपोर्ट की दिशा में बड़े परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है। वाराणसी के लिए यह दिन ऐतिहासिक रहा, क्योंकि शहर वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन-चालित जल परिवहन अपनाने वाले अग्रणी शहरों में शामिल हो गया है।




