चुनाव में ब्लैक मनी पर आयकर विभाग की नजर, टारगेट पर राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले पूंजीपति
वाराणसी। चुनाव चाहे लोकसभा को हो या विधानसभा या फिर पंचायत और सभासदी का। हर चुनाव में रुपया पानी की तरह बहाया जाता है। इसी बहाने ‘ब्लैक मनी’ को भी खूब खपाया जाता है। अब जबकि लोकसभा चुनाव पूरे शबाब पर है तो जिला प्रशासन ही नहीं, आयकर विभाग भी सतर्क हो गया है। आयकर विभाग भी मानता है कि ऐसे चुनाव में ‘ब्लैक मनी’ को लोग आसानी से खफा देते हैं। जिसका हिसाब-किताब नहीं रखा जाता। वैसे भी विभाग की नजर में पूर्वांचल का इलाका ‘ब्लैक मनी पार्किंग जोन’ बन चुका है।
आयकर विभाग के अफसरों की मानें तो ‘ब्लैक मनी’ का उपयोग गलत कामों में होता है। चुनावी समर में वोटरों को लुभाने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थन काले धन का ही उपयोग करते हैं। वजह भी साफ है कि चुनाव आयोग हर बार के चुनाव में खर्च की सीमा तय कर देता है। सिर्फ चुनावी माहौल में ही ‘ब्लैक मनी’ का उपयोग नहीं होता बल्कि आम दिनों में भी काले धन को किसी न किसी रूप में बाजार में खपाया जाता है। यही कारण है कि आयकर अफसरों ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। कई बड़े कारोबारियों पर अफसरों की निगाह गड़ चुकी है। इसमें शहर के कई व्यवसायी प्रमुख रूप से निशाने पर है।
विभाग का मानना है कि ये लोग किसी न किसी राजनीतिक दल से न सिर्फ जुड़े होते हैं, बल्कि उनको मोटा चंदा भी देते हैं। इतना ही नहीं, कई ऐसे धनपशु भी है, जो अपरोक्ष रूप से राजनीतिक दलों को मोटी रकम देकर उनकी मदद करते है। सिर्फ नकद ही नहीं देते हैं बल्कि उनके कार्यक्रमों को अघोषित रूप से प्रायोजित भी करते हैं।
सर्च में खुलती है ‘ब्लैक मनी’ की पोल
आयकर अफसरों की मानें, तो जब भी पूरी छानबीन के बाद किसी बड़े व्यापारी या उद्योगपति के यहां सर्च एवं सीजर की कार्रवाई होती है तो ‘ब्लैक मनी’ की पोल खुल जाती है। पिछले कुछ साल पूर्व तक विभाग का पूरा ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर नोएडा, गाजियाबाद और आसपास के जिलों तक ही सीमित था। लेकिन जब से पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर सर्च एवं सीजर की कार्रवाई हुई तो अफसरों के होश उड़ गये।
बनारस, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मीरजापुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, गोरखपुर और आसपास के जिलों में बीते वर्षों में सर्च एवं सीजर की कार्रवाई के दौरान करोड़ों रुपये की अघोषित सम्पत्ति एवं ‘ब्लैक मनी’ का खुलासा हो चुका है। ऐसी कार्रवाई के बाद यह साबित हो चुका है कि पूर्वांचल ‘ब्लैक मनी पार्किंग जोन’ बन गया है। इससे इस संभावना को बल मिलता है कि ‘ब्लैक मनी’ का उपयोग गलत कामों में होता है।
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