वाराणसी में दैवीय आपदा से निपटने को प्रशासन ने कसी कमर, प्रबंधन जांच समिति की समीक्षा बैठक में बनी रणनीति, डीएम ने वज्रपात पर जताई चिंता

बैठक के दौरान एक विशेष कार्यशाला का भी आयोजन किया गया, जिसमें पार्षदगण, प्रधान समूहों, एनडीआरएफ कर्मियों और राहत मित्रों को शामिल किया गया। समिति के सभापति ने स्पष्ट किया कि आपदा से पहले जागरूकता फैलाना सबसे अहम कदम है, ताकि कम से कम जनहानि हो। उन्होंने निर्देश दिए कि वर्षा से पूर्व सभी विभागों को ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए, जिससे जनता को सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जा सके।
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने वज्रपात से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर चिंता जताई और बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि खेतों में काम करते समय वज्रपात का जोखिम अधिक होता है, इसलिए इस दौरान पेड़ के नीचे खड़े न हों, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाए रखें तथा सुरक्षित स्थान पर रहें। जल जीवन मिशन की पानी टंकियों और पंचायत भवनों पर इलेक्ट्रिक अरेस्टर लगाए जा रहे हैं, जिससे बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
एडीएम एफ.आर. वंदिता श्रीवास्तव ने राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन चक्र को प्रस्तुत करते हुए बताया कि सरकार आपदा में मृत्यु पर ₹4 लाख की राहत राशि देती है। उन्होंने बताया कि आपदा के पहले तैयारी, आपदा के दौरान त्वरित कार्रवाई और आपदा के बाद पुनर्प्राप्ति की दिशा में विभाग लगातार काम कर रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने सर्पदंश से बचाव के उपाय बताए और लोगों से घरेलू नुस्खे न अपनाने की अपील की। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
एनडीआरएफ कमांडेंट ने आपदा में राहत-बचाव के तरीकों की जानकारी दी और बताया कि दामिनी और सचेत ऐप्स के माध्यम से 40 किलोमीटर के दायरे में आपदा की घटनाओं की जानकारी पहले से मिल सकती है। समिति के समक्ष CPR तकनीक का भी प्रदर्शन किया गया।
समिति ने सर्पदंश से मौत के मामलों पर विशेष चिंता जताई और सभी अस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित करने, पोस्टमार्टम अनिवार्य कराने और तत्काल मुआवजा देने के निर्देश दिए। तालाबों और खतरनाक जलस्त्रोतों के पास चेतावनी बोर्ड लगाने के आदेश भी दिए गए।
सदस्यों ने तहसील, ब्लॉक और स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता सामग्री प्रदर्शित करने, जलभराव और रैन बसेरा की व्यवस्था की समीक्षा, तथा शीतकाल में अलाव जलाने की तैयारी का ब्यौरा भी अधिकारियों से लिया। वन विभाग से वृक्षारोपण की स्थिति, संरक्षण के प्रयास और ट्री कैनोपी बढ़ाने की दिशा में कार्य की जानकारी ली गई।
सभापति ने जनहानि के प्रस्तुत आंकड़ों में विसंगति पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी को इन्हें स्वयं जांचने का निर्देश दिया। नगर निगम द्वारा सिल्ट सफाई के पुराने आंकड़ों की सत्यता की जांच और सभी नालों की सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए। इसके अलावा सीवरेज कार्यों में लगे श्रमिकों के बीमा को अनिवार्य करने का आदेश दिया गया।
शिक्षकों और विद्यार्थियों में आपदा प्रशिक्षण को लेकर भी निर्देश दिए गए। विद्यालयों में आपदा बचाव पर साप्ताहिक सत्र आयोजित किए जाएंगे। संचारी रोगों को लेकर ग्रामवार संयुक्त विभागीय बैठकें होंगी। योग को बढ़ावा देने हेतु आयुष विभाग द्वारा नियमित शिविर लगाने का निर्देश भी दिया गया।
विकास प्राधिकरण से सभी सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य करने और ज्वलनशील फैक्ट्रियों में आपातकालीन इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा गया। पुराने कुओं के पुनर्जीवन पर भी बल दिया गया।
बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने समिति को आश्वासन दिया कि सभी निर्देशों पर कार्य योजना बनाकर समुचित क्रियान्वयन किया जाएगा। बैठक में अपर पुलिस आयुक्त डॉ. एस. चिनप्पा, डीएफओ स्वाति सिंह, एडीएम प्रशासन विपिन कुमार, अपर नगर आयुक्त सविता यादव और अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।