महाश्मशान नाथ के दरबार में नगर वधुओं ने सजाई महफ़िल, नृत्यांजलि पेश कर ‘शिव’ से मांगा मुक्ति का वरदान, त्रिदिवसीय श्रृंगार महोत्सव का हुआ भव्य समापन

इस अवसर पर मंदिर प्रांगण को रजनीगंधा, गुलाब और अन्य सुगंधित फूलों से भव्य रूप से सजाया गया। तांत्रिक विधान से पंचमकार भोग अर्पित कर बाबा की महाआरती की गई। मान्यता है कि बाबा को प्रसन्न करने के लिए शक्ति ने योगिनी रूप धारण किया था। इस परंपरा का निर्वाह करते हुए योगिनियों ने नृत्यांजलि अर्पित कर बाबा को श्रद्धा सुमन समर्पित किए।
Also Read - खंडवाः भाजयुमो ने फूंका सोनिया-राहुल का पुतला
नगर वधुओं ने पेश की भावांजलि
आरती के उपरांत काशी की नगर वधुओं ने अपने गायन और नृत्य के माध्यम से परंपरागत भावांजलि समर्पित की। उन्होंने बाबा से प्रार्थना की कि उनका अगला जन्म शुभ हो। यह भावपूर्ण दृश्य देखकर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं।
सदियों पुरानी परंपरा का हुआ निर्वाह
कार्यक्रम के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए गुलशन कपूर ने बताया कि यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। जब राजा मानसिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, तब वहां संगीत की परंपरा स्थापित करने के लिए कोई भी कलाकार तैयार नहीं था। इस पर काशी की नगर वधुओं ने नटराज महाश्मशानेश्वर को अपनी भावांजलि अर्पित करने का प्रस्ताव रखा। राजा मानसिंह ने इसे स्वीकार किया, और तब से यह परंपरा अनवरत जारी है। नगर वधुओं को विश्वास था कि इस परंपरा का पालन करने से उनके नरकीय जीवन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। यही कारण है कि आज भी बिना बुलाए वे सप्तमी तिथि पर मणिकर्णिका घाट पहुंच जाती हैं।
श्रृंगार महोत्सव के अंतिम चरण में रात्रि जागरण का आयोजन किया गया। जलती चिताओं के बीच मंदिर प्रांगण में भक्तों ने भजन-कीर्तन कर बाबा का स्मरण किया। इस दौरान भक्तों ने "दुर्गा दुर्गति नाशिनी", "डिमिग डिमिग डमरू कर बाजे", "ओम नमः शिवाय", "मणिकर्णिका स्रोत" और अन्य पारंपरिक भजनों का गायन किया। गायकों ने "औम मंगलम औमकार मंगलम", "बम लहरी बम बम लहरी" जैसे भजनों से भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
इस आयोजन में मंदिर अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता, व्यवस्थापक गुलशन कपूर, महामंत्री बिहारी लाल गुप्ता, महंत संजय झींगरन, विजय शंकर पांडे, दिलीप यादव, संजय गुप्ता, दीपक तिवारी, अजय गुप्ता, रिंकू पांडेय, मनोज शर्मा समेत कई भक्तों और पदाधिकारियों ने भाग लिया।