संदहां और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन की बहार, शिकायतों पर सुनवाई नहीं

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वाराणसी। शहर से सटे सारनाथ और चौबेपुर थाना क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इनदिनों मिट्टी के अवैध खनन की बहार है। इन दिनों संदहां अवैध खनन का हब बन गया है। बिगहों खेत जेसीबी से चार से 12 फीट तक खोदकर मिट्टी और रेत निकाली जा रही है। आश्चर्य यह कि खनन माफियाओं का यह खेल सालों से चल रहा है।

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क्षेत्रीय नागरिकों के घरों के आसपास खनन हो रहा है। यही नही अवैध खनन के इस खेल को गांव के हर व्यक्ति को जानकारी है। उनके सामने दिनदहाड़े खनन हो रहा है। लेकिन कोई बोलने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है। इसी वजह भी है। पूर्व में क्षेत्रीय लोगों ने खनन विभाग को लिखित और आनलाईन शिकायतें कीं। आनलाईन शिकायतों का नतीजा यह रहा कि खनन अधिकारी ने तात्कालिक तौर पर एक या दो दिन के लिए खुदाई बंद करवा दी। फिर धंधा चालू हो गया। सवाल यह है कि मानक के विपरीत हो रही इस खुदाई की अनुमति कौन देता है ? यदि इन्हें अनुमति नही मिलती तो इतने बड़े पैमाने पर खुदाई कैसे हो रही है।

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संदहा क्षेत्र के कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके घरों के आसपास खुदाई कर मिट्टी निकाल ली गई। जब उनको अपने मकानों को खतरा समझ में आने लगा तो खुद ही दीवार के किनारे मिट्टी डालकर अपने मकान बचा रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि पुलिस रोज देखती है मगर कार्रवाई नही होती। शिकायत करने पर विभागीय अधिकारी भी हस्तक्षेप करना उचित नही समझते। जब विभाग और पुलिस ही इससे आखें मूदे हैं तो गांव के लोग शिकायत किससे करें ? बताया जाता है कि खुदाई करानेवाले प्रभावशाली लोग हैं। उनका दावा है कि सत्ता में उनकी अच्छी पकड़ है। इसलिए अधिकारी भी कार्रवाई करने से कतराते हैं। रही पुलिस तो उस पर तो खनन माफियाओं की मिलीभगत से खुदाई कराने के आरोप लगते रहते हैं। पिछले दिनों चोलापुर क्षेत्र में अवैध खनन का विरोध करने पर भुक्तभोगी को ही धमकी दी गई। पुलिस से शिकायत करने पर कहा गया कि खनन कराने वाले से ही बात कर लिजिए। इसमें हम क्या कर सकते हैं ?

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