IIT BHU बनेगा रिसर्च पार्क, फैकल्टी के पेटेंट को बनाएंगे बिजनेस का जरिया 

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वाराणसी। आईआईटी बीएचयू को रिसर्च पार्क बनाया जाएगा। यहां तरह-तरह के रिसर्च को प्रमोट किया जाएगा। वहीं फैकल्टी के पेटेंट को भी बिजनेस का जरिया बनाया जाएगा। उक्त बातें आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने 16 मई 2024 को संस्थान में निदेशक पद संभालने के बाद अब तक के कार्यकाल दौरान हुए अनुभवों को साझा किया और भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की। 

उन्होंने कहा कि बीएचयू आईटी का आईआईटी में परिवर्तन हुए मात्र 12 साल ही हुए हैं। आईआईटी इसीलिये बनाया गया कि ताकि टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके। आज तकनीकी इतनी तेज आगे बढ़ रही है कि अगर उसके साथ हम नहीं चले तो पीछे रह जाएंगे। हमें तेज काम करना होगा। लैब को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना जरूरी है। इसके लिए मंत्रालय से भी बात हुई है और उन्होंने मदद करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि देश की टॉप पांच आईआईटी को छोड दिया जाए तो आईआईटी बीएचयू में संसाधन और सुविधाएं भरपूर हैं। क्षमता के आधार पर देखा जाए तो रैंकिंग में जरूर पीछे हैं मगर इसमें सुधार की पूरी गुंजाइश है। इलेक्ट्रॉनिक एरिया में चिप डिजाइन में हम बेहतर काम कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि कम्युनिकेशन में अभी 6 जी पर अच्छे रिसर्च हो रहे हैं। एआई में अपार संभावनाएं हैं। अल्मुनाई भी इसे खास तौर पर जोर दे रहे हैं। कई कंपनियां भी इससे जुड़ रही हैं। ई-मोबिलिटी एवं बॉयो-मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण पहल भी की जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि छात्रों की संख्या कम है। अभी फैकल्टी की संख्या 360 है। अगले तीन वर्षों में लगभग 300 और फैकल्टी की भर्ती करने का लक्ष्य है। हम लगातार एडवरटाइजमेंट करेंगे और लगातार इंटरव्यू कराते रहेंगे। इस गति को तेज करना है। पिछले महीने पांच विभागों का इंटरव्यू हो गया है। इंटरव्यू करा कर तीन महीने के अंदर नियुक्तियां भी देंगे। छह महीने के अंदर बैकलॉग पूरा हो जाएगा। देश के बाहर के सीनियर स्कॉलर, पीएचडी स्टूडेंट को संस्थान में आने के लिए मोटीवेट करेंगे। अन्य आईआईटी में भी जाएंगे और वहां के रिसर्च स्कॉलरर्स को भी संस्थान में नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित करेंगे। 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई चीजें हमारे कैरीकुलम में है। छात्रों को ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप दिलाएंगे। अभी इंटर्नशिप में दो महीने का है। इसका समय बढ़ाने पर कार्य होगा। ताकि जॉब के अवसर का प्रतिशत बढ़े। मातृभाषा में शिक्षा सबसे बढ़िया है। सरकार की एक बहुप्रतिक्षित योजना है जिस पर काम हो रहा है जैसे विभिन्न आईआईटी में उनकी मातृभाषा में लेक्चरर हुए हैं उनकी रिकार्डिंग उपलब्ध रहेगी। ऐसे में जो छात्र देश की किसी भी आईआईटी में रहेगा संबंधित आईआईटी से अपनी भाषा में रिकार्ड लेक्चर सुन सकेगा। लेकिन अंग्रेजी सीखने पर भी काम करना होता रहेगा। उन्होंने बताया कि संस्थान एक रिसर्च पार्क बनाने की भी योजना बना रहा है। जैसा आईआईटी मद्रास में बना है। 


फैकल्टी के पेटेंट को बिजनेस बनाने, मोनिटाइज करने के लिए एक स्थान बनेगा। 85 करोड़ का फंड भवन बनाने के लिए मिल चुका है। उसके बाद अभी स्टार्टअप के लिए एंजल इन्वेस्टर 25 लाख से करोड़ रुपये तक फंड देने के लिए तैयार हैं। काफी अलुमनी भी फंड देने को तैयार हैं ताकि जो भी रिसर्च के बाद स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन मिलता रहे। स्टार्टअप फेलियर का रेट कम करने में रिसर्च पार्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। नौकरी की जगह इंटरप्रिन्योरशिप पर भी जोर दिया जाएगा। इसके लिए संस्थान स्तर पर सुविधा भी दी जा रही है। आईथ्री हब और आईडीएपीटी उपलब्ध हैं जो छात्रों को यह सुविधा उपलब्ध कराते हैं। बताया कि संस्थान की ’साइटेशन पर फैकल्टी’ देश में सबसे आगे है। इसमें पूरे विश्व में आईआईटी बीएचयू की 48 पोजीशन है। इतनी टॉप पोजिशन किसी भी आईआईटी की नहीं है।

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