IIT-BHU गैंगरेप केस: दो आरोपियों को 7 महीने बाद मिली हाईकोर्ट से जमानत, तीसरा आरोपी अब भी सलाखों के पीछे

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वाराणसी/प्रयागराज। IIT-BHU परिसर में बीटेक की एक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले में दो आरोपियों को सात महीने बाद हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। कुणाल पांडे और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया, जबकि तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। सक्षम की जमानत के लिए अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।

कुणाल और आनंद की रिहाई क्रमशः 24 और 29 अगस्त को हुई। 29 अगस्त को जब आनंद अपने घर नगवा कॉलोनी पहुंचा, तो वहां उसका जोरदार स्वागत किया गया। यह जानकारी सामने आई है कि तीनों आरोपी भाजपा की आईटी सेल से जुड़े थे और राज्य के कई बड़े नेताओं के संपर्क में थे।

इस हाई-प्रोफाइल मामले में वाराणसी पुलिस ने 17 जनवरी को गैंगरेप की चार्जशीट दाखिल की थी। तीनों आरोपियों पर लंका थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, जिससे उनकी जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज होती रहीं। पुलिस ने कोर्ट में आरोपियों को पेशेवर अपराधी बताते हुए उन्हें समाज के लिए खतरनाक बताया था।

घटना के 60 दिन बाद हुई थी गिरफ्तारी

घटना के 60 दिन बाद, 30 दिसंबर 2023 को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें अन्य जघन्य अपराधों में शामिल आरोपियों के साथ जेल में रखा गया था। पुलिस की चार्जशीट में उनके खिलाफ कई पुख्ता सबूत पेश किए गए, जिनमें रूट चार्ट, CCTV फुटेज, मोबाइल लोकेशन, और पीड़िता के बयान शामिल थे।

आरोपी आनंद ने 11 नवंबर 2023 को जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने परिवार की बीमारी का हवाला दिया था। अदालत ने 2 जुलाई को उसकी जमानत मंजूर कर ली, लेकिन शर्तें पूरी करने में समय लगने के कारण उसकी रिहाई 29 अगस्त को हो पाई। दूसरे आरोपी कुणाल की जमानत भी 2 जुलाई को मंजूर हुई थी और वह 24 अगस्त को जेल से रिहा हुआ।

वारदात के बाद एमपी में छिपे थे आरोपी

गौरतलब है कि वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार में शामिल हो गए थे और लगभग 55 दिन तक वहीं छिपे रहे। जब वे वाराणसी लौटे, तो पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए 60 दिन बाद उन्हें गिरफ्तार किया।

गिरफ़्तारी से 10 दिन पहले ACP का हुआ था तबादला

सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण उनकी गिरफ्तारी में देरी हुई। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ही तीनों की गिरफ्तारी हो सकी। गिरफ्तारी से 10 दिन पहले इस मामले की जांच कर रहे ACP भेलूपुर प्रवीण सिंह का भी तबादला कर दिया गया था।

वाराणसी पुलिस ने इस मामले में परिसर और उसके बाहर कुल 225 CCTV फुटेज की जांच की थी। इसके अलावा, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), क्राइम ब्रांच और सर्विलांस सहित छह टीमों को आरोपियों की तलाश में लगाया गया था।

सत्ता पर विपक्ष हुआ था हावी

इस घटना को लेकर विपक्षी दल वर्तमान सत्ता दल पर काफी हावी हुआ था। घटना को लेकर अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सत्ता को कटघरे में खड़ा किया था। इसे लेकर छात्रों ने भी लगातार कई दिनों तक कैंपस में प्रोटेस्ट किया था। छात्रों के कई गुट ने आरोपियों की गिरफ़्तारी व पीड़िता को न्याय के लिए हंगामा किया था।

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