ज्ञानवापी की मुक्ति तक नहीं ग्रहण करूंगा अन्न, स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती का एलान, व्रत को पूर्ण करने में बाबा विश्वनाथ व मां गंगा होंगी सहायक
वाराणसी। एएसआई के ज्ञानवापी (Gyanvapi ASI Survey) सर्वे में हिंदू मंदिर के प्रमाण मिले हैं। ऐसे में ज्ञानवापी को लेकर लोग तरह-तरह के मत दे रहे हैं। इसी बीच अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने काशी ज्ञानवापी की मुक्ति तक अन्न नहीं ग्रहण करने का प्रण लिया है। इस दौरान गोदुग्ध व फल का सेवन करेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि उनके इस प्रण को पूरा करने में बाबा विश्वनाथ और मां गंगा सहायक होंगी।
उनका कहना रहा कि ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे में ज्ञानवापी परिसर मंदिर सिद्ध हो जाने के बाद काशी ज्ञानवापी की मुक्ति तक मेरा व्यक्तिगत संकल्प है कि अन्न ग्रहण नहीं करूंगा। कहा कि ऐसा नहीं कि मैं कोई पहला व्यक्ति हूं जो यह संकल्प ले रहा हूं। हजारों वर्षों से ऋषि, मुनि, संत इस तपस्या को करते रहे हैं। ऐसे में मेरा व्यक्तिगत प्रण है कि जब तक काशी ज्ञानवापी मुक्त नहीं हो जाती और यह विराट मंदिर का स्वरूप नहीं ले लेता तब तक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूंगा।
उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह भी नहीं है कि कुछ भी नहीं खाऊंगा अथवा अनशन करूंगा। मैं अनशनकारी नहीं हूं, मैं आंदोलनकारी नहीं हूं। मैं एक दंडी संन्यासी हूं। इसलिए मेरा जो व्रत है गोदुग्ध व कुछ फल के द्वारा शरीर धर्म का पालन हो जाएगा। शेष मेरे इस व्रत को पूर्ण करने में बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath), मां गंगा (Ganga) सहायक सिद्ध हों। यही प्रभु से प्रार्थना है।
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