काशी में फेरी गई सैकड़ों साल पुरानी कांटों वाली गदा, तीन पीढ़ियों से झंटू पहलवान कर रहे हैं परम्परा का निर्वहन
वाराणसी। काशी परम्पराओं का शहर है। यहां अनगिनत परम्पराएं हैं। नाग पंचमी पर काशी के अखाड़ों में जोड़ी गदा का जगह-जगह आयोजन किया गया। पहले परंपराओं का निर्वहन सभी जगह देखा जाता था, परंतु आज कुछ ही जगह लोग इसका निर्वहन करते हैं।
इसी क्रम में रविदास पार्क के पास सैकड़ों साल पुराने जोड़ी गदा तथा कांटो वाली जोड़ी पर लोगों ने हाथ आजमाया और नाग पंचमी की पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। पहलवान सतीश यादव उर्फ झंटू ने बताया कि यह बहुत पुराना अखाड़ा है और यह मेरे दादा और पिताजी द्वारा प्रारंभ किया गया था। जिसका निर्वहन आज हमारे द्वारा किया जा रहा है।
वैसे तो बनारस में बहुत ही कम लोग कांटो वाली गदा करते हैं, परंतु हम आज भी कांटो वाली गदा फिरते हैं और इसका प्रदर्शन कई स्थानों पर कर चुके हैं। वैसे अखाड़े में आज विदेशी पहलवान भी पहुंचे जो अपना दम ख़म दिखाए। लोगों ने तालियां बजाकर दमखम दिखाने वाले पहलवानों का उत्साहवर्धन किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में दर्शक लोग पहुंचे हुए थे। वह इस अखाड़े में लोग बड़ी-बड़ी से जोड़ी गधा करने का भी इंतजार कर रहे थे। वही झंटू पहलवान ने बताया कि आज सबसे पहले बजरंगबली का विधि विधान के साथ पूजन अर्चन किया गया। इसके बाद नगाड़ों की धुन पर पहलवानों ने अपने दम का प्रदर्शन किया।
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