हिंदी दिवस समारोह: भारतीय भाषाओं और संस्कृति की महत्ता पर जोर, ऋतेश्वर महाराज बोले – अपनी संस्कृति और भाषा को जीवन के हर पहलू में करें शामिल
- क्षेत्रीय भाषाओँ का सम्मान ही बचाएगा देश का विभाजन
- हमारी संस्कृति में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की अवधारणा: डिप्टी सीएम, बिहार
- बांग्लादेश के लोगों ने भाषा के संरक्षण के लिए संघर्ष किया
- भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि संस्कारों का संवाहक
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के त्र्यंबकेश्वर हाल में शनिवार को एक न्यूज़ एजेंसी के ओर से ‘भाषाई कला संगम 2024’ का आयोजन किया गया। जिसमें हिंदी भाषा को सम्मान देने व इसके संरक्षण पर चर्चा हुई। श्री आनंदम धाम ट्रस्ट वृंदावन मथुरा के ऋतेश्वर महाराज कहा कि अंग्रेजी भाषा ने भारतीय समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है। अगर हम अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान नहीं करेंगे, तो देश विभाजन की ओर अग्रसर हो सकता है। उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां के लोगों ने भाषा के संरक्षण के लिए संघर्ष किया और अपनी अस्मिता बचाई।
ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि हिंदी दिवस को मनाने के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग करना विडंबना है और यह बताता है कि लोग वही समझेंगे जो उनकी सोच और आदतों में शामिल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी संस्कृति और भाषा को जीवन के हर पहलू में शामिल करना चाहिए।
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी इस अवसर पर कहा कि हमारी संस्कृति में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की अवधारणा समाहित है, जो हमारी सहिष्णुता और सनातन मूल्यों को दर्शाती है। उन्होंने अपनी सांस्कृतिक विरासत और भारतीय भाषाओं के संरक्षण पर जोर दिया, विशेषकर युवाओं को संस्कृति और भाषा के प्रति प्रेम उत्पन्न करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम में धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार ने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि संस्कारों का संवाहक भी है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अपनी मूल भाषाओं का उपयोग जारी रखें ताकि आने वाली पीढ़ियों के साथ उनका संबंध बना रहे। कार्यक्रम में विभिन्न भारतीय भाषाओं के 25 कलाकारों को 'भाषाई कला सम्मान' से सम्मानित किया गया।
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