संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में बनेगी हेरिटेज गैलरी और कल्चरल क्लब, संस्कृति विभाग से मिला 20 लाख रुपये बजट

वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में हेरिटेज गैलरी व कल्चरल क्लब बनेगा। इसके लिए संस्कृति विभाग की ओर से 20 लाख रुपये बजट मिला है। हेरिटेज गैलरी में विश्वविद्यालय के 233 वर्ष के इतिहास और विकास से लेकर उत्कृष्ट कीर्तिमान स्थापित करने वाले पूर्व आचार्यों एवं पूर्व विद्यार्थियों की फोटो एवं कीर्ति, यात्रा वृतांत को जगह दी जाएगी। हेरिटेज गैलरी और कल्चरल क्लब में ऋषि तुल्य आचार्यों के व्यक्तित्व-कृतित्व और उन्हें प्राप्त पद्म पुरस्कार, राष्ट्रपति पुरस्कार/सम्मान, मूर्ति देवी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पुरस्कार व अन्य सम्मान को भी स्थान दिया जाएगा। इससे उनके आदर्श व्यक्तित्व को सारा समाज जान सकेगा।
कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि हेरिटेज गैलरी और कल्चरल क्लब को ऐतिहासिक मुख्य भवन में स्थापित किया जाएगा। इसमें विश्वविद्यालय के 233 वर्षों के इतिहास को आम जनमानस के लिए सजीव किया जाएगा। काशी और यहां के मुख्य विंदुओं, स्थानीय संस्कृति, कलाकृतियों एवं महत्व को प्रदर्शित किया जाएगा। सरस्वती भवन मे संरक्षित दुर्लभ पाण्डुलिपियों के चित्रों की झलकियां लगायी जाएंगी, इसके साथ ही पुरातत्व संग्रहालय में संस्था की विरासत तथा उपलब्धियों को संजोया जाएगा। इसका प्रदर्शन भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के समय 1791 में संस्कृत कालेज की स्थापना का प्रस्ताव जोनाथन डंकन ने रखा था। 1857 में कालेज ने स्नातकोत्तर शिक्षण शुरू किया। 1880 में एक परीक्षा प्रणाली को अपनाया गया। 1894 में प्रसिद्ध सरस्वती भवन ग्रंथालय भवन का निर्माण किया गया, जहां आज हजारों पांडुलिपियां संरक्षित हैं। इन पांडुलिपियों को महाविद्यालय के प्राचार्य ने संपादित कर पुस्तक रूप में प्रकाशित किया है। सरस्वती भवन ग्रन्थमाला नामक श्रृंखला में 400 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। 1958 में संपूर्णानंद के प्रयासों ने संस्थान की स्थिति को कालेज से संस्कृत विश्वविद्यालय में बदल दिया।
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