मोहनसराय ट्रांसपोर्ट योजना की जमीन पर कब्जे को लेकर भारी बवाल, पथराव कर रहे लोगों को पुलिस ने खदेड़ा

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  • भारी फोर्स के साथ बुलडोजर लेकर जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे अधिकारी
  • किसान और परिवार की महिलाओं, बच्चों ने पुलिस के खिलाफ खोला मोर्चा
  • खेत में पुलिस ने भांजी लाठी और ग्रामीणों ने किया पथराव, भगदड़

वाराणसी। रोहनिया क्षेत्र के मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच लम्बे समय से चली आ रही लड़ाई मंगलवार को संघर्ष में तब्दील हो गयी। बुलडोजर लेकर जमीनों पर कब्जा लेने भारी फोर्स के साथ पहुंची वीडिए की टीम को किसानों के जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों के विरोध पर जब पुलिस ने लाठियों के बल पर उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया तो ग्रामीणों ने जवाब में पथराव शुरू कर दिया। खेतों में दौड़ते भागते किसान, उनके परिवार की महिलाएं और बच्चे पुलिसवालों का विरोध करने लगे। इस दौरान एक महिला और एक पुरूष की हालत गंभीर बताई जा रही है। 

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उधर, प्रशासन मौके पर और फोर्स मंगा रहा था तो दूसरी ओर ग्रामीण भी लामबंद हो रहे थे। गौरतलब है कि मोहनसराय ट्रांसपोर्ट योजना के खिलाफ क्षेत्र के कई गांवों के किसान करीब दो दशक से विरोध कर रहे हैं। इसके लिए दर्जनों बार किसान महापंचायत और बैठकें कर चुके। यहां तक कि वीडिए के अधिकारियों से कई चक्र की वार्ता हुई। लेकिन प्रशासन और किसानों के बीच समझौते का कोई रास्ता नही निकल सका। प्रशासन अपनी सोच पर कायम है और किसान अपने हक के लिए लामबंद हैं। इसके लिए किसानों ने बाकायदा मोहनसराय किसान संघर्ष समिति बना रखी है। इसके संरक्षक विनय शंकर राय की अगुवाई में यह लड़ाई लम्बे समय से लड़ी जा रही है।  

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किसानों का कहना है कि मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना से प्रभावित 1194 किसानों की जमीन पर वैधानिक अधिकार पाने हेतु खतौनी पर नाम भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के सेक्शन 24 की धारा 5(1) जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि अगर योजना 5 वर्ष में विकसित होकर के चालू नहीं होती है तो योजना निरस्त मानी जाएगी। लैंड यूज़ का भी परिवर्तन योजना निरस्त करने के बाद ही किया जा सकता है। लेकिन वीडीए ने पिछले दिनों किसानों की खतौनी से नाम हटवाकर जमीनों को अपने नाम कर लिया। ऐसी स्थिति में किसान जमीन का खतौनी में नाम वैधानिक रूप से दर्ज कराने की भी मांग कर रहे थे। वाराणसी विकास प्राधिकरण के लैंड यूज़ परिवर्तन की बात जो पहले मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना थी उसके जगह पर आवासी योजना बनाने के निर्णय को किसानों ने एक स्वर से विरोध करते हुए निर्णय लिया था कि किसी भी सूरत पर सर्वे या किसी प्रकार का कार्य किसान नहीं होने देंगे।

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मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसान भाजपा सरकार से दुखित होकर लोकसभा चुनाव 2019 चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। लेकिन तब के भाजपा संगठन के प्रभारी सुनील ओझा जी की पहल पर कि लोकसभा चुनाव के बाद किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून के आधार पर जमीन वापस करने के कानूनी कार्य पर गंभीरता से सरकार पहल करेगी। इस वादे को मानते हुए किसानों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय वापस लिया था। लेकिन ऐसा नही हो सका। किसान भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के आधार पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। 

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किसान मेवा पटेल का कहना है कि योजना से प्रभावित किसानों की जीविका का एक मात्र साधन किसानी है। इसलिए किसान विरोधी योजना का किसान लगभग वीस वर्ष  से विरोध कर रहे हैं। बिटना देवी ने कहा कि महिलाएं फूल एवं सब्जी की व्यवसायिक खेती कर परिवार चलती हैं। हजारों महिलाएं अपने स्वरोजगार से लोगो का पेट पालती है। जमीन पर किसानो का नाम 2003 में काटकर वाराणसी विकास प्राधिकरण कर देने से किसान सरकारी योजनाओ से वंचित हो गये हैं।

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ज्ञातव्य हो कि 1998 से मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना का किसान विरोध करते चले आ रहे हैं। उक्त योजना में बैरवन, कन्नाडाडी, मिल्की चक एवं मोहनसराय के 1194 किसान प्रभावित। इसमें कुल 214 एकड़ जमीन योजना हेतु प्रस्तावित है। 2003 में किसानों की बिना सहमति के उनका नाम काटकर राजस्व अभिलेख खतौनी पर विकास प्राधिकरण वाराणसी का नाम दर्ज कर दिया गया है। तभी से किसान लामबंद होकर के संघर्ष करके अपनी जमीन बचाए हुए हैं। उक्त योजना में लगभग 32 प्रतिशत किसान मुआवजा ले लिए हैं लेकिन 68 प्रतिशत किसान मुआवजा नहीं लिए हैं। लेकिन सबका एक स्वर से यही मानना है कि जमीन किसानों को वैधानिक रूप से वापस कर दिया जाय।

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