हनुमान जयंती पर काशी में बही आस्था की बयार: संकट मोचन के चरणों में उमड़ा भक्तों का सैलाब, राम नाम का गूंजा जयघोष

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वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हनुमान जयंती इस वर्ष आस्था, श्रद्धा और उत्साह के अद्भुत संगम के साथ मनाई जा रही है। सुबह से ही पूरे शहर का वातावरण भक्ति रस में डूबा नजर आया। काशी के प्रमुख हनुमान मंदिरों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सबसे अधिक भीड़ संकट मोचन मंदिर में देखने को मिली, जहां हजारों श्रद्धालु दूर-दराज से आकर दर्शन और पूजन में लीन दिखे।

sankatmochan temple

भोर होते ही संकट मोचन मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए। शनिवारी संयोग और हनुमान जयंती का महापर्व एक साथ पड़ने के कारण आज का दिन भक्तों के लिए और भी अधिक पुण्यदायी बन गया। मंदिर प्रांगण में हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक के सामूहिक पाठ की गूंज पूरे वातावरण को भक्तिमय बना रही थी। दोपहर तक लाखों श्रद्धालु संकट मोचन बाबा के दर्शन कर चुके थे और यह सिलसिला लगातार जारी रहा।

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संकट मोचन मंदिर के अलावा, बनारस के लंका, अशफाक नगर, चौकाघाट, नई सड़क, भेलूपुर और गोदौलिया क्षेत्र स्थित हनुमान मंदिरों में भी विशेष पूजन और आरती की गई। मंदिरों को फूलों, दीपों और रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था। भक्तों ने बजरंगबली को चोला चढ़ाया, सिंदूर अर्पित किया और मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमान जी से प्रार्थना की।

हनुमान जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा कई स्थानों से ध्वज यात्राएं भी निकाली गईं, जो संकट मोचन मंदिर पहुंचकर समर्पण की भावनाओं के साथ समाप्त हुईं। ‘जय श्रीराम’, ‘जय हनुमान’, और ‘हर हर महादेव’ के उद्घोषों से काशी की गलियां गूंजती रहीं। ये यात्राएं न केवल भक्ति का प्रतीक बनीं, बल्कि सामाजिक समरसता और उत्सव के रंगों से भी ओतप्रोत रहीं।

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मान्यता है कि कलियुग में हनुमान जी ही ऐसे देवता हैं जो सजीव रूप में धरती पर उपस्थित हैं और अपने भक्तों के प्रत्येक संकट को हरने में समर्थ हैं। इसी आस्था के चलते, आज भक्तों ने विशेष मंत्रों का जाप, हनुमान चालीसा का पाठ और विशेष पूजन कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया। भक्तों का विश्वास है कि बजरंगबली की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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संकट मोचन मंदिर में दिनभर आरती, भंडारा, प्रसाद वितरण और भजन-कीर्तन का सिलसिला चलता रहा। काशी के गंगा-जमुनी तहज़ीब के अनुसार यहां हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने व्यवस्था और सेवा में हाथ बंटाया। भक्तों को बेल का शरबत, फल और प्रसाद वितरित किया गया।
 

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